देश की ख्यातिलब्ध नेता सुषमा स्वराज का देहावसान, 67 साल की आयु में दिल का दौरा पड़ने से निधन, देखिए उपलब्धियां | Country's famous leader Sushma Swaraj owes his death Died of a heart attack at the age of 67 See achievements

देश की ख्यातिलब्ध नेता सुषमा स्वराज का देहावसान, 67 साल की आयु में दिल का दौरा पड़ने से निधन, देखिए उपलब्धियां

देश की ख्यातिलब्ध नेता सुषमा स्वराज का देहावसान, 67 साल की आयु में दिल का दौरा पड़ने से निधन, देखिए उपलब्धियां

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:03 PM IST, Published Date : August 6, 2019/5:40 pm IST

नई दिल्ली। सुषमा स्वराज का जन्म 14 फरवरी 1952 को हुआ था। एक भारतीय महिला राजनीतिज्ञ और भारत की विदेश मंत्री रहीं। वर्ष 2009 में भारत की भारतीय जनता पार्टी द्वारा संसद में विपक्ष की नेता चुनी गयी थीं, इस नाते वे भारत की पन्द्रहवीं लोकसभा में प्रतिपक्ष की नेता रही हैं। इसके पहले भी वे केन्द्रीय मन्त्रिमण्डल में रहीं थी। सुषमा स्वराज दिल्ली की मुख्यमंत्री रही थी। वे सन 2009 के लोकसभा चुनावों के लिये भाजपा के 19 सदस्यीय चुनाव-प्रचार-समिति की अध्यक्ष भी रहीं थीं। 67 साल की आयु में 6 अगस्त, 2019 की रात 11 बजे के करीब उनका दिल्ली में निधन हो गया।

<blockquote class=”twitter-tweet” data-lang=”en”><p lang=”en” dir=”ltr”>Former External Affairs Minister &amp; senior BJP leader, Sushma Swaraj, passes away. <a href=”https://t.co/4L59O73xQU”>pic.twitter.com/4L59O73xQU</a></p>&mdash; ANI (@ANI) <a href=”https://twitter.com/ANI/status/1158797161913565186?ref_src=twsrc%5Etfw”>August 6, 2019</a></blockquote>
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अम्बाला छावनी में जन्मी सुषमा स्वराज ने एस॰डी॰ कालेज अम्बाला छावनी से बी॰ए॰ तथा पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ से कानून की डिग्री ली। पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने पहले जयप्रकाश नारायण के आन्दोलन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। आपातकाल का पुरजोर विरोध करने के बाद वे सक्रिय राजनीति से जुड़ गयीं। वर्ष 2014 में उन्हें भारत की पहली महिला विदेश मंत्री होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। इसके पहले इंदिरा गांधी दो बार कार्यवाहक विदेश मंत्री रह चुकी हैं। कैबिनेट में उन्हें शामिल करके उनके कद और उकाबिलियत को स्वीकारा। वे दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री और देश में किसी राजनीतिक दल की पहली महिला प्रवक्ता बनने की उपलब्धि भी उन्हीं के नाम दर्ज है।

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70 के दशक में ही स्वराज अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ गयी थी। उनके पति, स्वराज कौशल, सोशलिस्ट नेता जॉर्ज फ़र्नान्डिस के करीबी थे, और इस कारण ही वे भी 1975 में फ़र्नाडींस की विधिक टीम का हिस्सा बन गयी। आपातकाल के समय उन्होंने जयप्रकाश नारायण के सम्पूर्ण क्रांति आंदोलन में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। आपातकाल की समाप्ति के बाद वह जनता पार्टी की सदस्य बन गयी। 1977 में उन्होंने अम्बाला छावनी विधानसभा क्षेत्र से हरियाणा विधानसभा के लिए विधायक का चुनाव जीता और चौधरी देवी लाल की सरकार में से 1977 से 79 के बीच राज्य की श्रम मन्त्री रह कर 25 साल की उम्र में कैबिनेट मन्त्री बनने का रिकार्ड बनाया था। 1979 में तब 27 वर्ष की स्वराज हरियाणा राज्य में जनता पार्टी की राज्य अध्यक्ष बनी।

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80 के दशक में भारतीय जनता पार्टी के गठन पर वह भी इसमें शामिल हो गयी। इसके बाद 1987 से 1990 तक पुनः वह अम्बाला छावनी से विधायक रही। भाजपा-लोकदल संयुक्त सरकार में शिक्षा मंत्री रही। अप्रैल 1990 में उन्हें राज्यसभा के सदस्य के रूप में निर्वाचित किया गया, जहां वह 1996 तक रही। 1996 में उन्होंने दक्षिण दिल्ली संसदीय क्षेत्र से चुनाव जीता, और 13 दिन की वाजपेयी सरकार में सूचना और प्रसारण मंत्री रही। मार्च 1998 में उन्होंने दक्षिण दिल्ली संसदीय क्षेत्र से एक बार फिर चुनाव जीता। इस बार फिर से उन्होंने वाजपेयी सरकार में दूरसंचार मंत्रालय के अतिरिक्त प्रभार के साथ सूचना एवं प्रसारण मंत्री के रूप में शपथ ली थी। 19 मार्च 1998 से 12अक्टूबर 1998 तक वह इस पद पर रही। इस अवधि के दौरान उनका सबसे उल्लेखनीय निर्णय फिल्म उद्योग को एक उद्योग के रूप में घोषित करना था, जिससे कि भारतीय फिल्म उद्योग को भी बैंक से क़र्ज़ मिल सकता था।

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अक्टूबर 1998 में उन्होंने केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया, और 12 अक्टूबर 1998 को दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला। हालांकि, 3 दिसंबर 1998 को उन्होंने अपनी विधानसभा सीट से इस्तीफा दे दिया, और राष्ट्रीय राजनीति में वापस लौट आई। सितंबर 1999 में उन्होंने कर्नाटक के बेल्लारी निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के विरुद्ध चुनाव लड़ा। अपने चुनाव अभियान के दौरान, उन्होंने स्थानीय कन्नड़ भाषा में ही सार्वजनिक बैठकों को संबोधित किया था। हालांकि वह 7 प्रतिशत के मार्जिन से चुनाव हार गयी।

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अप्रैल 2000 में वह उत्तर प्रदेश के राज्यसभा सदस्य के रूप में संसद में वापस लौट आईं। 9 नवंबर 2000 को उत्तर प्रदेश के विभाजन पर उन्हें उत्तराखण्ड में स्थानांतरित कर दिया गया। उन्हें केन्द्रीय मंत्रिमंडल में फिर से सूचना और प्रसारण मंत्री के रूप में शामिल किया गया था, जिस पद पर वह सितंबर 2000 से जनवरी 2003 तक रही। 2003 में उन्हें स्वास्थ्य, परिवार कल्याण और संसदीय मामलों में मंत्री बनाया गया, और मई 2004 में राजग की हार तक वह केंद्रीय मंत्री रही।

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अप्रैल 2006 में स्वराज को मध्य प्रदेश राज्य से राज्यसभा में तीसरे कार्यकाल के लिए फिर से निर्वाचित किया गया। इसके बाद 2009 में उन्होंने मध्य प्रदेश के विदिशा लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र से 4 लाख से अधिक मतों से जीत हासिल की। 21 दिसंबर 2009 को लालकृष्ण आडवाणी की जगह 15वीं लोकसभा में सुषमा स्वराज विपक्ष की नेता बनी और मई 2014 में भाजपा की विजय तक वह इसी पद पर आसीन रही।

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वर्ष 2014 में वे विदिशा लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र से दोबारा लोकसभा की सांसद निर्वाचित हुई हैं और उन्हें भारत की पहली महिला विदेश मंत्री होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। भाजपा में राष्ट्रीय मन्त्री बनने वाली पहली महिला सुषमा के नाम पर कई रिकार्ड दर्ज़ हैं। वे भाजपा की राष्ट्रीय प्रवक्ता बनने वाली पहली महिला हैं, वे कैबिनेट मन्त्री बनने वाली भी भाजपा की पहली महिला हैं, वे दिल्ली की पहली महिला मुख्यमन्त्री थीं और भारत की संसद में सर्वश्रेष्ठ सांसद का पुरस्कार पाने वाली पहली महिला भी वे ही हैं। वे दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री और देश में किसी राजनीतिक दल की पहली महिला प्रवक्ता बनने की उपलब्धि भी उन्हीं के नाम दर्ज है।

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