नगर निगम चुनाव में मतपत्रों से चुनाव चिह्न हटाने के अनुरोध वाली अर्जी अदालत ने खारिज की |

नगर निगम चुनाव में मतपत्रों से चुनाव चिह्न हटाने के अनुरोध वाली अर्जी अदालत ने खारिज की

नगर निगम चुनाव में मतपत्रों से चुनाव चिह्न हटाने के अनुरोध वाली अर्जी अदालत ने खारिज की

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:47 PM IST, Published Date : April 18, 2022/6:59 pm IST

नयी दिल्ली, 18 अप्रैल (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली में नगर निगम चुनावों के लिए मतपत्रों से चुनाव चिह्न हटाने के अनुरोध वाली एक जनहित याचिका सोमवार को खारिज कर दी।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति नवीन चावला की पीठ ने कहा कि वह याचिकाकर्ता अल्का गहलोत के रुख से प्रभावित नहीं है। पीठ ने कहा, ‘‘हम इसे खारिज कर रहे हैं। हम आपकी दलीलों से प्रभावित नहीं हैं।’’

पूर्व में एमसीडी चुनाव लड़ चुकी और हार चुकी याचिकाकर्ता की दलील थी कि नगर निगम चुनावों के पीछे का उद्देश्य ‘स्थानीय स्वशासन’ है, जो मतपत्र पर राजनीतिक दलों के चुनाव चिह्न आने से ‘‘छीन लिया जाता है।’’

याचिकाकर्ता ने अधिवक्ता एच एस गहलोत के जरिये दलील दी कि किसी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल के मौजूदा चिह्न वाले उम्मीदवार को अज्ञात चिह्न वाले उम्मीदवार पर अनुचित लाभ मिलता है। उन्होंने साथ ही यह भी दलील दी कि किसी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल द्वारा प्रायोजित उम्मीदवार को एक आरक्षित चिह्न होने का लाभ होगा जो ‘समान मौका’’ होने के मूल सिद्धांत का उल्लंघन है।

अदालत ने याचिकाकर्ता से पूछा कि क्या राजनीतिक दलों को स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित किया गया है और टिप्पणी की कि यदि याचिकाकर्ता की दलील ‘अच्छी’ है तो इसे अन्य सभी चुनावों पर भी लागू किया जाना चाहिए, न कि केवल नगर निगम चुनावों पर।

याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि मतपत्र पर चुनाव चिह्न की मौजूदगी संविधान और दिल्ली नगर निगम अधिनियम का भी उल्लंघन है क्योंकि ये दोनों नगर निगम चुनावों के संबंध में राजनीतिक दलों का कोई उल्लेख नहीं करते हैं।

राज्य निर्वाचन आयोग के अधिवक्ता सुमीत पुष्कर्ण ने इस बात पर जोर दिया कि उच्चतम न्यायालय का आदेश था कि चुनाव के लिए चिह्न महत्वपूर्ण और प्रासंगिक हैं और निरक्षरों को उनकी पसंद के उम्मीदवार से जोड़ने में मदद करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि न तो भारत के निर्वाचन आयोग और न ही किसी राजनीतिक दल को याचिका में पक्षकार बनाया गया है।

भाषा अमित उमा

उमा

 

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