दिल्ली की अदालत ने नाबालिग से यौन उत्पीड़न के मामले में एक व्यक्ति को दोषी ठहराया |

दिल्ली की अदालत ने नाबालिग से यौन उत्पीड़न के मामले में एक व्यक्ति को दोषी ठहराया

दिल्ली की अदालत ने नाबालिग से यौन उत्पीड़न के मामले में एक व्यक्ति को दोषी ठहराया

:   Modified Date:  November 22, 2023 / 08:40 PM IST, Published Date : November 22, 2023/8:40 pm IST

नयी दिल्ली, 22 नवंबर (भाषा) दिल्ली की एक अदालत ने दो लड़कियों की क्रमश: यौन प्रताड़ना और यौन उत्पीड़न के अपराध के लिए एक व्यक्ति को दोषी ठहराते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष के सबूत ठोस, भरोसेमंद और सुसंगत थे।

सहायक सत्र न्यायाधीश कुमार रजत ने श्रीकांत के खिलाफ एक मामले की सुनवाई की, जिस पर 14 दिसंबर 2014 को एक महिला कल्याण संस्थान में रहकर एक नाबालिग का यौन उत्पीड़न करने के अलावा एक अन्य लड़की की यौन प्रताड़ना करने का आरोप था।

न्यायाधीश ने मंगलवार को सुनाए गए फैसले में कहा कि वर्तमान मामले में श्रीकांत को दोषी ठहराया जाता है क्योंकि उसने जानबूझकर पहली नाबालिग लड़की के खिलाफ उसकी सहमति के बिना उसके शरीर के विशेष अंग को छूकर आपराधिक बल का इस्तेमाल किया था। अदालत ने कहा, ‘‘आरोपी पीड़िता से परिचित और जुड़ा हुआ नहीं था। ऐसा कृत्य करने की कोई वजह नहीं थी।’’

न्यायाधीश ने कहा कि इसी तरह, आरोपी ने दूसरी नाबालिग लड़की को एकांत जगह पर बुलाया और उसे पैसे की पेशकश की, साथ ही उससे कहा कि अगर वह उपलब्ध नहीं है, तो उसे दूसरी लड़की भेजनी चाहिए।

अदालत ने कहा कि यह कृत्य ‘‘जानबूझकर एक महिला की गरिमा का अपमान’’ करने जैसा है क्योंकि आरोपी के लिए नाबालिग लड़की को एकांत जगह पर बुलाने की कोई वजह नहीं थी।

न्यायाधीश ने कहा कि पहली नाबालिग लड़की ने यौन उत्पीड़न के संबंध में अपनी शिकायत में उल्लिखित तथ्यों की पुष्टि की थी और अदालत में आरोपी की पहचान करने के अलावा, उसने एक समान बयान दिए।

अदालत ने कहा, ‘‘जिन लोगों को उसने घटना के बारे में बताया था उनका नाम न बताने जैसी छोटी-मोटी भिन्नताएं गवाह की विश्वसनीयता को प्रभावित नहीं करती हैं।’’ न्यायाधीश ने कहा कि यौन उत्पीड़न के संबंध में दूसरी पीड़िता की गवाही भी सुसंगत थी और आरोपी के कृत्य से ‘‘यौन इरादे’’ का अनुमान लगाया जा सकता है।

अदालत ने कहा, इसके अलावा नाबालिग लड़कियों द्वारा श्रीकांत को झूठा फंसाने का कोई कारण नहीं है। न्यायाधीश ने कहा, ‘‘अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत सबूत ठोस, भरोसेमंद, सुसंगत हैं। इस प्रकार, अभियोजन पक्ष ने आरोपी श्रीकांत के खिलाफ संदेह से परे अपना मामला साबित कर दिया है।’’

अदालत ने श्रीकांत को यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम की धारा आठ (यौन प्रताड़ना) और 12 (यौन उत्पीड़न) के साथ-साथ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 354 (महिला की मर्यादा भंग करने के इरादे से उसपर हमला) और 509 (शब्द, हाव-भाव या ऐसा कृत्य जिसका उद्देश्य किसी महिला की मर्यादा का अपमान करना है) के तहत अपराध का दोषी ठहराया।

भाषा आशीष माधव

माधव

 

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