कोलकाता, 13 जून (भाषा) कोलकाता उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को निर्देश दिया कि वह अखिल भारतीय गोरखा लीग (एबीजीएल) के प्रमुख मदन तमांग की 2010 में हुई हत्या के आरोप-पत्र में गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) के सुप्रीमो बिमल गुरुंग का नाम शामिल करे।
एक स्थानीय अदालत ने 2017 में गुरुंग का नाम आरोपियों की सूची से हटा दिया था। तमांग की पत्नी भारती ने उच्च न्यायालय में इस आदेश को चुनौती दी थी।
तमांग की 21 मई, 2010 को दिनहाड़े दार्जिलिंग में उस समय हत्या कर दी गई थी, जब वह एक जनसभा की तैयारियों की देखरेख कर रहे थे।
यह कहते हुए कि शहर की सत्र अदालत ने गुरुंग को अन्य आदर्श व्यक्तियों से अलग करके गलती की है, उच्च न्यायालय के न्यायाधीश शुभेंदु सामंत ने हत्या मामले की जांच कर रही सीबीआई को गुरुंग का नाम आरोप-पत्र में शामिल करने का निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति सामंत ने अपने आदेश में कहा, ‘‘बिमल गुरुंग के खिलाफ मिलीभगत का आरोप पर्याप्त रूप से स्थापित हो चुका है।’’
गुरुंग के वकील ने सत्र अदालत के समक्ष दलील दी थी कि जिस दिन तमांग की हत्या हुई थी, उस दिन उनका मुवक्किल कलिम्पोंग में था और सीबीआई के पास गुरुंग के खिलाफ कोई सबूत नहीं है।
आदेश में कहा गया है, ‘‘इस मामले में अन्य आरोपियों के साथ -साथ बिमल गुरुंग के खिलाफ आरोप तय किए जाने की आवश्यकता है।’’
बिमल गुरुंग, उनकी पत्नी आशा और जीजेएम के कई अन्य वरिष्ठ नेताओं ने हत्या के मामले में 21 दिसंबर, 2016 को कोलकाता की एक अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया था। अदालत ने उन्हें जमानत दे दी थी।
भाषा सुरेश माधव
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