मुख्य सचिव डेरी को लेकर खाका पेश करें : दिल्ली उच्च न्यायालय |

मुख्य सचिव डेरी को लेकर खाका पेश करें : दिल्ली उच्च न्यायालय

मुख्य सचिव डेरी को लेकर खाका पेश करें : दिल्ली उच्च न्यायालय

:   Modified Date:  May 8, 2024 / 08:50 PM IST, Published Date : May 8, 2024/8:50 pm IST

नयी दिल्ली, आठ मई (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को मुख्य सचिव से राष्ट्रीय राजधानी में डेरी से जुड़े मामलों से निपटने को लेकर एक खाका पेश करने का निर्देश दिया जिसमें डेरी मालिकों की वैधानिक जरूरत और साफ-सफाई के उपाय शामिल हों।

कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश मनमोहन की अध्यक्षता ने टिप्पणी की कि प्रशासन ने डेरी की स्थिति से ‘आंखे मूंद’ ली है और ‘नागरिक ऐसे दूध का सेवन नहीं कर सकते हैं जो सुरक्षित नहीं हो।’’

अदालत ने कहा कि वह मदनपुर खादर डेरी में मवेशियों की मैपिंग, टैगिंग, प्रतिबंधित हार्मोन ऑक्सीटोसिन के उपयोग, साफ-सफाई और मवेशियों की चिकित्सा देखभाल के मुद्दे को संबोधित करने के लिए एक पायलट परियोजना शुरू करेगी।

इस पीठ में न्यायमूर्ति पी.एस.अरोड़ा भी शामिल हैं। अदालत ने टिप्पणी की, ‘‘ हमें एक खाका दीजिए। ऐसा कोई खाका नहीं है। ये तदर्थ निर्णय तब तक कारगर नहीं होंगे जब तक आपके पास उचित खाका या उचित योजना न हो… हमें यह भी नहीं पता कि समस्या कितनी बड़ी है, हम कितने मवेशियों से निपट रहे हैं?’’

अदालत दिल्ली में डेरियों की स्थिति के संबंध में एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। उसे पहले अदालत आयुक्त द्वारा सूचित किया गया था कि दिल्ली में सभी नौ नामित डेरी कॉलोनियों, यानी काकरोला डेरी, गोएला डेरी, नंगली शकरावती डेरी, झरोदा डेरी, भलस्वा की स्थिति डेरी, गाजीपुर डेरी, शाहाबाद दौलतपुर डेरी, मदनपुर खादर डेरी और मसूदपुर डेरी की स्थिति ‘खराब’ थी।

मुख्य सचिव नरेश कुमार सुनवाई के दौरान ऑनलाइन माध्यम से मौजूद रहे। उन्होंने अदालत को सूचित किया कि संबंधित एजेंसियों के साथ एक बैठक की गई थी और स्वच्छता, लाइसेंसिंग आदि के मुद्दों से निपटने के लिए एक ‘बहु-विषयक टीम’ का गठन किया जाएगा।

अदालत द्वारा लैंडफिल के पास मौजूद गाजीपुर डेरी और भलस्वा डेरी को स्थानांतरित करने को लेकर पूछे गए सवाल पर कुमार ने कहा कि डेरी को स्थानांतरित करना मुश्किल होगा, लेकिन उन्होंने आश्वासन दिया कि 2026 तक लैंडफिल को साफ करने के प्रयास चल रहे हैं।

अदालत ने कहा कि भले ही दिल्ली में डेरी चलाने के लिए दिल्ली नगर निगम (एमसीडी), पशुपालन विभाग, डीपीसीसी के साथ-साथ एफएसएसएआई से लाइसेंस की आवश्यकता होती है,परंतु ‘आज सब कुछ कानून का उल्लंघन कर चल रहा था।’’

अदालत ने मुख्य सचिव से यह भी सवाल किया कि वह यह कैसे सुनिश्चित करेंगे कि गाजीपुर और भलस्वा डेरी के मवेशी खतरनाक अपशिष्ट न खाएंगे।

अदालत ने कहा, ‘‘हमें वहां कानूनों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए कोई उचित तरीका नहीं मिल रहा है। यदि आप इसे सुनिश्चित कर सकते हैं, तो आपके लिए शुभकामनाएं। हम केवल कानून के अनुरूप होना चाहते हैं। हम नहीं चाहते कि किसी के स्वास्थ्य पर असर पड़े। किसी को भी खतरनाक भोजन नहीं करना चाहिए।’’

पीठ ने टिप्पणी की, ‘‘हम किसी को हटाना नहीं चाहते। (लेकिन) प्रशासन ने आंखें मूंद ली हैं।’’ अदालत ने कहा कि वह इस स्तर पर अवैध डेरी के बारे में नहीं पूछ रही है।

भाषा धीरज माधव

माधव

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)