(फाइल फोटो के साथ)
धार (मप्र), 30 मार्च (भाषा) मध्यप्रदेश के धार जिले के भोजशाला-कमाल मौला मस्जिद परिसर में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अदालत की निगरानी में किए जा रहे सर्वेक्षण के तहत खुदाई की प्रक्रिया जारी है।
सर्वेक्षण की जानकारी रखने वाले एक व्यक्ति ने शनिवार को बताया कि खुदाई के दौरान एकत्रित मिट्टी और पत्थर एएसआई द्वारा सुरक्षित रखे जा रहे हैं।
यह सर्वेक्षण 22 मार्च को शुरू हुआ था और आज सर्वेक्षण का नौवां दिन है।
हिंदुओं का प्रतिनिधित्व करने वाले आशीष गोयल इस प्रक्रिया के दौरान एएसआई दल के साथ रहे। उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि नयी वैज्ञानिक पद्धतियों, ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर), ग्लोबल पॉजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस), कार्बन डेटिंग का इस्तेमाल कर बिना किसी विराम के सर्वेक्षण किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि परिसर की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी भी करायी जा रही है।
गोयल ने कहा, ‘‘यह शाश्वत सत्य है कि भोजशाला का निर्माण राजा भोज ने कराया था। शिलालेख, स्तंभों और भोजशाला के प्रत्येक अंश से पता चलता है कि यह एक हिंदू संरचना है।’’
उन्होंने उम्मीद जतायी कि लंदन से मां वाग्देवी (सरस्वती) की मूर्ति लाए जाने के बाद उसे भोजशाला में स्थापित किया जाएगा।
उन्होंने कहा, ‘‘कल (शुक्रवार) तक किए सर्वेक्षण में भोजशाला के बाहरी हिस्सों में स्थित तीन स्थानों की खुदाई की गयी और यह प्रक्रिया जारी है। खुदाई के दौरान एकत्रित किए मिट्टी और पत्थर जैसी विभिन्न सामग्री को संरक्षित किया जा रहा है।’’
अदालत ने ‘हिंदू फ्रंट ऑफ जस्टिस’ की एक याचिका पर एएसआई को 50 मीटर के क्षेत्र पर सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया है। शुक्रवार को दोपहर 12 बजे तक ही सर्वेक्षण किया गया क्योंकि इस दिन मुस्लिमों को परिसर में नमाज पढ़ने की अनुमति दी जाती है।
हिंदू और मुस्लिम दोनों इस परिसर पर अपना दावा जता रहे हैं। हिंदू भोजशाला को वाग्देवी को समर्पित एक मंदिर मानते हैं जबकि मुस्लिम उसे कमाल मौला मस्जिद बताते हैं।
एएसआई के सात अप्रैल 2003 को जारी आदेश के अनुसार तय व्यवस्था के मुताबिक हिंदुओं को प्रत्येक मंगलवार भोजशाला में पूजा करने की अनुमति है, जबकि मुस्लिमों को हर शुक्रवार इस जगह पर नमाज अदा करने की अनुमति दी गई है।
भाषा गोला रंजन
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