नयी दिल्ली, 20 नवंबर (भाषा) दिल्ली की एक अदालत ने 1997 के उपहार सिनेमा अग्निकांड के मामले में सबूतों से छेड़छाड़ करने के लिए सात साल की जेल की सजा प्राप्त एक व्यक्ति को दो दिन की अंतरिम जमानत दे दी क्योंकि उसकी भतीजी के सगाई समारोह की व्यवस्था के लिए परिवार में कोई बुजुर्ग पुरुष सदस्य नहीं है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अनिल अंतिल ने अदालत के पूर्व कर्मचारी दिनेश चंद शर्मा को राहत दी। शर्मा को इस महीने की शुरुआत में एक मजिस्ट्रेटी अदालत ने रियल एस्टेट कारोबारी सुशील और गोपाल अंसल तथा अन्य के साथ जेल भेज दिया था।
शर्मा की उस अर्जी पर राहत दी गई जिसमें दावा किया गया था कि पहले से निर्धारित समारोह की व्यवस्था करने के लिए परिवार में कोई बुजुर्ग पुरुष सदस्य नहीं है और उसे अपनी भतीजी के उक्त समारोह में शामिल होने के लिए सात दिनों की सीमित अवधि के लिए रिहा किया जाए। अर्जी में दावा किया गया था कि युवती के पिता का पिछले महीने निधन हो गया था और उसके दादा भी दिवंगत हो चुके हैं।
अदालत में बहस के दौरान, अभियोजन पक्ष ने कहा कि यदि केवल एक दिन की सीमित अवधि के लिए समारोह में शामिल होने की अनुमति दी जाती है तो उसे कोई आपत्ति नहीं है। अदालत ने मानवीय आधार पर दिनेश चंद्र शर्मा को 21 और 22 नवंबर को दो दिनों के लिए रिहा करने और सगाई समारोह में शामिल होने की अनुमति दे दी।
एक मजिस्ट्रेटी अदालत ने आठ नवंबर को अंसल बंधुओं और शर्मा, पी पी बत्रा और अनूप सिंह को सबूतों से छेड़छाड़ और अन्य अपराधों के लिए सात साल की जेल की सजा सुनाई थी। उपहार सिनेमा हॉल में 13 जून 1997 को आग लग गई थी, जिसमें 59 लोगों की जान चली गई थी।
भाषा आशीष पवनेश
पवनेश
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