जयपुर, 11 जुलाई (भाषा) राजस्थान के आदिवासी इलाकों में गरीब दंपत्तियों द्वारा कथित तौर पर अपने बच्चों को बेचे जाने का मामला बृहस्पतिवार को राज्य विधानसभा में उठा। सरकार ने इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए सदन को बताया कि इस तरह की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए कार्रवाई की जा रही है लेकिन इसके लिए समाज को भी आगे आना होगा।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर ने विधानसभा में कहा कि माता-पिता द्वारा अपने ही बच्चों को बेचे जाने की घटनाएं बेहद दुखद है।
उन्होंने कहा कि इस तरह की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए सरकार अपने स्तर पर कार्रवाई कर रही है लेकिन इसके लिए समाज को भी आगे आना होगा।
मंत्री ने कहा कि समाज के लोग जब मिलकर काम करेंगे तभी इस प्रकार की घटनाओं पर प्रभावी रूप से लगाम लगाई जा सकेगी।
बूंदी से कांग्रेस विधायक हरिमोहन शर्मा ने शून्यकाल में यह मुद्दा उठाया और जानना चाहा कि सरकार ने अब तक क्या कार्रवाई की?
खींवसर ने प्रश्न के जवाब में बताया कि इस संबंध में फलासिया और बाघपुरा थाने में कुल सात मुकदमे दर्ज किये गये हैं, जिनमें से छह मामले वर्ष 2023 में और एक मामला 2024 में दर्ज किया गया।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए पुलिस को ‘अलर्ट’ कर दिया है।
चिकित्सा मंत्री ने कहा कि ऐसी घटनाओं की रोकथाम के लिए काउंसलिंग किये जाने और गैर सरकारी संगठनों की भी आवश्यकता है।
भाषा पृथ्वी कुंज जितेंद्र
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