आपराधिक कानूनों का क्रियान्वयन टाला जाए ताकि संसद की स्थायी समिति इनकी समीक्षा कर सके : कांग्रेस |

आपराधिक कानूनों का क्रियान्वयन टाला जाए ताकि संसद की स्थायी समिति इनकी समीक्षा कर सके : कांग्रेस

आपराधिक कानूनों का क्रियान्वयन टाला जाए ताकि संसद की स्थायी समिति इनकी समीक्षा कर सके : कांग्रेस

:   Modified Date:  June 22, 2024 / 01:56 PM IST, Published Date : June 22, 2024/1:56 pm IST

नयी दिल्ली, 22 जून (भाषा) कांग्रेस ने शनिवार को कहा कि तीन नए आपरधिक कानूनों का क्रियान्वयन टाला जाना चाहिए ताकि इन तीनों कानूनों की गृह मामलों से संबंधित संसद की पुनर्गठित स्थायी समिति द्वारा गहन समीक्षा की जा सके।

पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने केंद्र सरकार से यह आग्रह उस वक्त किया है जब पिछले दिनों कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा था कि भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और साक्ष्य अधिनियम के स्थान पर लाए गए भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम एक जुलाई से लागू किए जाएंगे।

रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ’25 दिसंबर 2023 को राष्ट्रपति ने भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 को अपनी सहमति दी थी। इन तीन दूरगामी विधेयकों को बिना उचित बहस और चर्चा के संसद से मनमाने ढंग से पारित कर दिया गया था।”

उन्होंने कहा कि जब ये विधेयक पारित किए गए जा रहे थे तब 146 सांसदों को लोकसभा और राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया था।

रमेश ने दावा किया, ‘इससे पहले इन विधेयकों को देश भर के पक्षकारों के साथ विस्तार से बातचीत के बिना और कांग्रेस सहित विभिन्न राजनीतिक दलों के कई सांसदों (जो समिति के सदस्य थे) के लिखित और बड़े पैमाने पर असहमति से भरे नोट को नजरअंदाज करते हुए गृह मामलों पर स्थायी समिति के माध्यम से जबरन अनुमोदित कर दिया गया था।’

उन्होंने कहा, ‘ तीन नए कानून एक जुलाई 2024 से लागू होने हैं। कांग्रेस की यह स्पष्ट राय है कि इन तीन कानूनों के कार्यान्वयन को टाला जाना चाहिए। ऐसा इसलिए ताकि इन तीनों कानूनों की गृह मामलों पर पुनर्गठित स्थायी समिति द्वारा गहन समीक्षा और फ़िर से जांच की जा सके। ‘

रमेश का यह भी कहना है, ‘समिति उन सभी कानूनी विशेषज्ञों और संगठनों के साथ व्यापक एवं सार्थक ढंग से विचार-विमर्श करे जिन्हें तीन कानूनों को लेकर गंभीर चिंताएं हैं। उसके बाद 18वीं लोकसभा और राज्यसभा में भी सदस्यों की चिंताएं सुनी जाएं।’

भाषा हक खारी शोभना

शोभना

 

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