(फोटो के साथ)
नयी दिल्ली, 22 जून (भाषा) भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा है कि हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में ‘इंडिया’ गठबंधन बेहतर प्रदर्शन कर सकता था, लेकिन सीट बंटवारे के समझौते तक पहुंचने में शायद अधिक समय लगा दिया गया।
‘पीटीआई’ मुख्यालय में एजेंसी के शीर्ष संपादकों के साथ एक साक्षात्कार में, भाकपा (माले) लिबरेशन के नेता ने यह भी कहा कि किसान आंदोलन, युवा और नागरिक समाज के आंदोलन जैसे जन आंदोलनों के साथ-साथ ‘‘डिजिटल योद्धाओं’’ ने चुनाव में विपक्षी खेमे के प्रयासों को बल दिया।
भट्टाचार्य की पार्टी विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि 30-40 सीट पर जीत का अंतर बहुत कम था। उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस बात को पूरी तरह से खारिज नहीं कर सकता कि इसमें (मतदान परिणामों में) कुछ भी अनुचित नहीं रहा, लेकिन इतना कहने के बावजूद मुझे लगता है कि कुछ ऐसे राज्य थे जहां हम बेहतर प्रदर्शन कर सकते थे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘उदाहरण के लिए बिहार…यदि हम उत्तर प्रदेश के बराबर प्रदर्शन कर पाते तो चीजें अलग होतीं। शायद, कर्नाटक में भी, जहां कांग्रेस सत्ता में है। वे शायद थोड़ा बेहतर प्रदर्शन कर सकते थे।’’
पिछले साल हुए मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान विधानसभा चुनाव का जिक्र करते हुए भट्टाचार्य ने कहा कि उन चुनावों में साथ मिलकर नहीं लड़ने से विपक्षी गठबंधन की गति धीमी हो गई। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इन तीनों राज्यों में चुनाव जीता। उन्होंने कहा इन तीनों विधानसभा चुनावों में ‘इंडिया’ गठबंधन की कोई तस्वीर नहीं थी और नतीजे हमारे पक्ष में नहीं आए।
भट्टाचार्य ने कहा, ‘‘हमने वहां बहुत गति खो दी। इस साल की शुरुआत में ही हमने कुछ गति पकड़नी शुरू की। इसलिए गति का खो जाना फिर से एक और महत्वपूर्ण बात है। आप इसकी भरपाई नहीं कर सकते।’’
उन्होंने यह भी कहा कि गठबंधन ने सीट-बंटवारे की बातचीत में बहुत अधिक समय लगा लिया। उन्होंने कहा, ‘‘संभवतः हमने सीट बंटवारे पर बातचीत में बहुत अधिक समय लगाया, इसलिए लोगों के बीच सही तरह से बात नहीं पहुंचा सके।’’
वामपंथी नेता ने कहा कि ‘इंडिया’ गठबंधन का चुनावी प्रदर्शन केवल अपने घटक दलों की राजनीतिक ताकत के कारण ही हासिल नहीं हुआ, बल्कि विभिन्न आंदोलनों से प्राप्त समर्थन के कारण भी हुआ।
उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा केवल ‘इंडिया’ की राजनीतिक ताकत के कारण हुआ, मैं यह नहीं मानूंगा। सिर्फ ‘इंडिया’ नहीं था, ‘इंडिया’ के अलावा भी कई चीजें थीं। कई आंदोलन चल रहे हैं-किसान आंदोलन, युवा आंदोलन, नागरिक समाज आंदोलन-इन सभी आंदोलनों ने गठबंधन को ताकत दी।’’
भट्टाचार्य ने कहा, ‘‘फिर आपके पास यह पूरा डिजिटल माध्यम है। मैं इसे स्वतंत्रता के लिए डिजिटल योद्धाओं का समुदाय कहता हूं। इन सभी कारकों ने हमें सफलता दिलाई। यह वास्तव में एक जन आंदोलन बन गया।’’
उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को ‘‘भारी’’ नुकसान पहुंचा और उसे बड़ा झटका लगा है। वामपंथी नेता ने कहा, ‘‘यह झटका मामूली नहीं है। यह इस समय भाजपा की ताकत के दो मुख्य क्षेत्रों-हिंदुत्व और ‘ब्रांड मोदी’ से संबंधित है। मुझे लगता है कि इस चुनाव में दोनों को भारी पराजय झेलनी पड़ी है।’’
यह पूछे जाने पर कि क्या यह गठबंधन कायम रहेगा, उन्होंने कहा, ‘‘विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ मूलतः परिस्थिति की मांग है। परिस्थिति वास्तव में अधिक एकजुट और ठोस ‘इंडिया’ की मांग करती है, इसलिए यदि हम परिस्थिति के प्रति संवेदनशील हैं, तो मुझे कोई कारण नहीं दिखता कि ‘इंडिया’ एकजुट क्यों नहीं रह सकता।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह एक मुश्किल गठबंधन है। आम तौर पर आप कल्पना नहीं कर सकते कि शिवसेना से लेकर भाकपा (माले) तक की मौजूदगी के साथ इतने बड़े फलक का गठबंधन होगा। लेकिन जब यह स्थिति उत्पन्न हुई है, तो मुझे लगता है कि जैसे-जैसे हम एक साथ आगे बढ़ते हैं, आपसी विश्वास बढ़ता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम वास्तव में अपने मतभेदों को कैसे पार करते हैं या इस व्यापक राष्ट्रीय एकता को बनाए रखने के लिए मतभेदों को कैसे पार करते हैं-यह एक बड़ी चुनौती है।’’ भट्टाचार्य ने कहा, ‘‘शायद, जैसे-जैसे हम आगे बढ़ेंगे, हमें अधिक ताकत मिलेगी और हम थोड़े अधिक लचीले बनेंगे।’’
लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 240 सीट जीतीं, जबकि कांग्रेस 99 सीट के साथ दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) को 293 सीट के साथ बहुमत मिला, जबकि विपक्षी गठबंधन ने 234 सीट जीतीं।
भाषा आशीष संतोष
संतोष
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