KARNATAKA HIJAB CASE: State government's argument in SC,

KARNATAKA HIJAB CASE : SC में राज्य सरकार की दलील, ‘कुरान एक धार्मिक किताब, उसे मानना जरूरी नहीं’

KARNATAKA HIJAB CASE: State government's argument in SC, 'Quran is a religious book, "कुरान का हर शब्द धार्मिक है, लेकिन उसे मानना अनिवार्य नहीं है"

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:06 PM IST, Published Date : September 21, 2022/12:37 pm IST

KARNATAKA HIJAB CASE 9th DAY: कर्नाटक हिजाब विवाद में आज नौंवे दिन देश की सबसे बड़ी अदालत में मुकादमा जारी है। जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धुलिया की बेंच में सुनवाई शुरू हो चुकी है। राज्य सरकार के एडवोकेट जनरल प्रभुलिंग नवदगी ने गौकशी पर कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि “कुरान का हर शब्द धार्मिक है, लेकिन उसे मानना अनिवार्य नहीं है”। पिछली बार कोर्ट में 17 हजार लड़कियों के स्कूल छोड़ने का मामला सामने आया था। लेकिन इस बार सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कहा कि हिजाब का विवाद धार्मिक और व्यक्तिगत स्वतंत्रता से जुड़ा हुआ है, इसलिए इस केस को संवैधानिक बेंच में भेजा जाए। याचिकाकर्ता की दलील थी कि छात्राएं स्टूडेंट्स के साथ भारत के नागरिक भी हैं। ऐसे में ड्रेस कोड का नियम लागू करना उनके संवैधानिक अधिकार का हनन होगा। मामले में अभी कोई तटस्ठता सामने नही आई है।

Read More: IND VS AUS T20 2022 : ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज पर समाई हार्दिक पांड्या की आत्मा! किया ऐसा कि देखकर दंग रह गया पूरा स्टेडियम 

जस्टिस हेमंत गुप्ता ने कहा

सुनवाई के दौरान जस्टिस हेमंत गुप्ता ने कहा कि हिजाब पर मैं कुछ साझा करना चाहता हूं। मैं लाहोर हाईकोर्ट के एक जज को जानता हूं, जो भारत आया करते थे। उनकी दो बेटियां भी थी, लेकिन मैंने कभी उन बच्चियों को हिजाब पहनते नहीं देखा। इतना ही नहीं, मैं पंजाब से लेकर पटना और यूपी तक कई मुस्लिम परिवारों से मिला पर आज तक किसी महिला को हिजाब पहने नहीं देखा।

Read More: हिजाब पहनी लड़की के साथ राहुल गांधी की तस्वीर, भाजपा नेता पर कांग्रेस ने पलटवार कर कहा- …आप बहुत घटिया हो

यह है पूरा मामला 

पूरा मामला  15 मार्च को कर्नाटक हाईकोर्ट ने उडुपी के सरकारी प्री-यूनिवर्सिटी गर्ल्स कॉलेज की कुछ मुस्लिम छात्राओं की तरफ से शुरु हुआ था। सभी छात्राओं ने  क्लास में हिजाब पहनने की मांग करने वाली याचिका हाई कोर्ट में दायर की थी। लेकिन सकरकार इस पर स्कूल में धार्मिक कट्टरता ना हो ये तर्क देते हुए कि  खारिज कर दी थी। कोर्ट ने अपने पुराने आदेश को बरकरार रखते हुए कहा कि हिजाब पहनना इस्लाम की जरूरी प्रैक्टिस का हिस्सा नहीं है। इसे संविधान के आर्टिकल 25 के तहत संरक्षण देने की जरूरत नहीं है। कोर्ट के इसी फैसले को चुनौती देते हुए कुछ लड़कियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिस पर सुनवाई हो रही है। कोर्ट में सुनवाई अभी भी जारी है। जिस पर कभी भी फैसला आ सकता है।

Read More: सिंधिया समर्थक भाजयुमो नेता हुए ‘लापता’, तलाश कर रही पुलिस ने 8 जगह दी दबिश, जानें क्या है पूरा मामला