कानून मंत्री ने निर्वाचन आयोग को ‘बदनाम’ करने की कोशिश कर रहे ‘तत्वों’ की आलोचना की |

कानून मंत्री ने निर्वाचन आयोग को ‘बदनाम’ करने की कोशिश कर रहे ‘तत्वों’ की आलोचना की

कानून मंत्री ने निर्वाचन आयोग को ‘बदनाम’ करने की कोशिश कर रहे ‘तत्वों’ की आलोचना की

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:19 PM IST, Published Date : January 25, 2022/7:04 pm IST

नयी दिल्ली, 25 जनवरी (भाषा) कानून मंत्री किरन रिजिजू ने मंगलवार को कहा कि निर्वाचन आयोग (ईसी) को बदनाम करने का प्रयास कर रहे “तत्व” वास्तव में देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं।

मंत्री ने यह भी कहा कि अदालतों को आयोग पर टिप्पणी करने का अधिकार है, लेकिन न्यायाधीशों को इस्तेमाल की जाने वाली भाषा के बारे में भी विचार करना होगा।

आयोग द्वारा आयोजित ‘राष्ट्रीय मतदाता दिवस’ के एक कार्यक्रम में रिजिजू ने कहा कि जो लोग लोकतंत्र को चुनौती देना चाहते हैं, उन्होंने निर्वाचन आयोग को चुनौती देकर ऐसा करने का एक तरीका ढूंढ लिया है। कार्यक्रम में मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा और चुनाव आयुक्त राजीव कुमार और अनूप चंद्र पांडे मौजूद थे।

मंत्री ने कहा कि जिस तरह से निर्वाचन आयोग ने समय-समय पर चुनौतियों का सामना किया है, उसकी आलोचना करने की गुंजाइश बहुत कम है।

उन्होंने कहा, “निर्वाचन आयोग के प्रयासों को बदनाम करने की कोशिश हो रही है… जो तत्व आयोग को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं, वे वास्तव में हमारे देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बदनाम करने का प्रयास कर रहे हैं।”

उन्होंने हालांकि उन “तत्वों” का नाम नहीं लिया, जिनका वह उल्लेख कर रहे थे। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में, लोग निर्वाचन आयोग की आलोचना करने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन आलोचना तर्क पर आधारित होनी चाहिए तथा इस्तेमाल की जाने वाली भाषा मानदंडों के भीतर होनी चाहिए।

उनका विचार था कि टिप्पणी करना जहां आसान है, वहीं उन समस्याओं और पृष्ठभूमि को समझना मुश्किल है जिसमें आयोग कार्य करता है।

उन्होंने हालांकि किसी भी अदालती अवलोकन को निर्दिष्ट नहीं किया, लेकिन चुनाव निगरानीकर्ता को पिछले साल कोविड-19 महामारी के बीच हुए विधानसभा चुनावों के लिए अदालतों की आलोचना का सामना करना पड़ा था।

उन्होंने कहा, “अगर अदालतें निर्वाचन आयोग पर टिप्पणी करती हैं, तो वह कर सकती हैं। अदालतों का अधिकार है। लेकिन न्यायाधीशों को यह सोचना होगा कि वे किस भाषा का उपयोग कर रहे हैं। चुनाव आयोग किन परिस्थितियों में काम कर रहा है, इसे समझना होगा।”

भाषा

प्रशांत दिलीप

दिलीप

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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