Muslim Hindu Marriage: मुस्लिम लड़की सयानी हो गई हो तो हिंदू से शादी करने को आजाद, हाईकोर्ट की दो टूक |

Muslim Hindu Marriage: मुस्लिम लड़की सयानी हो गई हो तो हिंदू से शादी करने को आजाद, हाईकोर्ट की दो टूक

हाई कोर्ट ने साफ कहा है कि यौवन (Puberty) हासिल करने के बाद मुस्लिम लड़की किसी से भी शादी करने के लिए स्वतंत्र है। दरअसल, लड़की ने अपने परिवार की इच्छा के खिलाफ हिंदू युवक से शादी कर ली।

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:09 PM IST, Published Date : December 26, 2021/6:52 pm IST

Muslim Hindu Marriage:

चंडीगढ़। एक 17 साल की मुस्लिम लड़की और हिंदू युवक की शादी पर पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की है। हाई कोर्ट ने साफ कहा है कि यौवन (Puberty) हासिल करने के बाद मुस्लिम लड़की किसी से भी शादी करने के लिए स्वतंत्र है। दरअसल, लड़की ने अपने परिवार की इच्छा के खिलाफ हिंदू युवक से शादी कर ली। अदालत ने मुस्लिम पर्सनल लॉ का जिक्र करते हुए कहा कि अगर लड़का और लड़की दोनों राजी हैं तो परिवार वालों को इसमें दखल देने का अधिकार नहीं। अदालत ने पुलिस को प्रेमी जोड़े की सुरक्षा का आदेश दिया है।

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कोर्ट ने टिप्पणी में कहा, ‘कानून साफ है कि किसी मुस्लिम लड़की की शादी मुस्लिम पर्सनल लॉ के जरिए होती है। सर दिनशाह फरदूंजी मुल्ला की किताब प्रिंसिपल्स ऑफ मोहम्मडन लॉ (Principles of Mohammedan Law) के आर्टिकल-195 के मुताबिक याचिकाकर्ता नंबर एक (17 साल की मुस्लिम लड़की) अपनी पसंद के लड़के के साथ शादी के लिए योग्य है। वहीं याचिकाकर्ता नंबर दो (उसका पार्टनर) ने बयान दिया है कि वह करीब 33 साल का है। याचिकाकर्ता नंबर एक (मुस्लिम लड़की) मुस्लिम पर्सनल लॉ के मुताबिक शादी करने लायक उम्र की है।’

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जस्टिस गिल ने अपने फैसले में कहा, ‘कोर्ट अपनी आंखें इस तथ्य से बंद नहीं कर सकता कि याचिकाकर्ताओं की चिंताओं के बारे में सोचना जरूरी है। सिर्फ इस बात से कि याचिकाकर्ता ने अपने परिवार की मर्जी के खिलाफ जाकर शादी कर ली है, उन्हें संविधान से मिले मूलभूत अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता।’

याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि मुस्लिम कानून के मुताबिक यौवन और प्रौढ़ता एक ही चीजें हैं। इसके मुताबिक माना जाता है कि 15 साल की उम्र में प्रौढ़ता हासिल हो जाती है। वकील ने बहस के दौरान यह भी कहा कि जो भी मुस्लिम लड़का या लड़की यौवन हासिल कर लेते हैं वे किसी से भी शादी के लिए आजाद हैं। उनके परिवार को इसमें दखल देने का कोई हक नहीं है।

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मुस्लिम लड़की के वकील ने कोर्ट में कहा कि सर दिनशाह फरदूंजी मुल्ला की किताब प्रिंसिपल्स ऑफ मोहम्मडन लॉ के आर्टिकल 195 में शादी के लिए कहा गया है, ‘सही सलामत दिमाग वाला हर मुस्लिम जिसने यौवन हासिल कर लिया है, वह शादी कर सकता है।’