राजकोट ‘गेम जोन’ आग मामले में छह अधिकारी निलंबित, उच्च न्यायालय ने कहा- सरकारी मशीनरी पर भरोसा नहीं |

राजकोट ‘गेम जोन’ आग मामले में छह अधिकारी निलंबित, उच्च न्यायालय ने कहा- सरकारी मशीनरी पर भरोसा नहीं

राजकोट ‘गेम जोन’ आग मामले में छह अधिकारी निलंबित, उच्च न्यायालय ने कहा- सरकारी मशीनरी पर भरोसा नहीं

:   Modified Date:  May 27, 2024 / 06:35 PM IST, Published Date : May 27, 2024/6:35 pm IST

अहमदाबाद, 27 मई (भाषा) गुजरात सरकार ने राजकोट ‘गेम जोन’ में आग लगने से 27 लोगों की मौत के मामले में सोमवार को छह अधिकारियों को निलंबित कर दिया जबकि उच्च न्यायालय ने कहा कि उसका सरकारी तंत्र पर से भरोसा उठ गया है, जो निर्दोष लोगों के मारे जाने के बाद ही हरकत में आता है।

एक सरकारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि इन अधिकारियों को ‘‘आवश्यक स्वीकृति के बिना इस ‘गेम जोन’ को संचालित करने की अनुमति देकर घोर लापरवाही बरतने का’’ जिम्मेदार ठहराया गया है।

संबंधित विभागों द्वारा पारित आदेशों के अनुसार, जिन लोगों को निलंबित किया गया है, उनमें राजकोट नगर निगम (आरएमसी) के नगर नियोजन विभाग के सहायक अभियंता जयदीप चौधरी, आरएमसी के सहायक नगर योजनाकार गौतम जोशी, राजकोट सड़क एवं भवन विभाग के उप कार्यकारी अभियंता एम आर सुमा एवं पारस कोठिया और पुलिस निरीक्षक वी आर पटेल और एन आई राठौड़ शामिल हैं।

जिस ‘गेम जोन’ में शनिवार को आग लगी थी, वह आग सुरक्षा संबंधी अनापत्ति प्रमाणपत्र के बिना संचालित किया जा रहा था।

राजकोट के पुलिस आयुक्त राजू भार्गव ने रविवार को संवाददाताओं से कहा, ‘‘ ‘गेम जोन’ को सड़क और भवन विभाग से अनुमति मिल गई थी। उसने आग सुरक्षा एनओसी प्राप्त करने के लिए अग्नि सुरक्षा उपकरण का प्रमाण भी जमा किया था। एनओसी मिलने की प्रक्रिया जारी थी और अभी पूरी नहीं हुई थी।’’

शनिवार शाम राजकोट के नाना-मावा इलाके में टीआरपी गेम जोन में आग लगने से बच्चों समेत 27 लोगों की मौत हो गई थी।

इससे पहले अधिकारियों ने कहा कि पुलिस ने गेम जोन के छह साझेदारों और एक अन्य के खिलाफ गैर इरादतन हत्या के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की है और दो लोगों को गिरफ्तार किया है।

गुजरात उच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति बीरेन वैष्णव और न्यायमूर्ति देवन देसाई की विशेष पीठ ने राजकोट नगर निगम से पूछा कि क्या आपने आसपास बनने वाले इतने बड़े ढांचे पर आंखें मूंद ली थीं? इससे पहले आरएमसी के वकील ने कहा था कि टीआरपी गेम जोन ने आवश्यक अनुमति नहीं मांगी थी। अदालत ने कहा कि सरकारी मशीनरी निर्दोष लोगों की जान जाने के बाद ही हरकत में आती है।

अदालत घटना से संबंधित स्वत: संज्ञान जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इससे पहले अदालत ने घटना को “मानव-निर्मित त्रासदी” करार दिया था।

अदालत ने सोमवार को यह भी कहा कि 2021 में टीआरपी गेम जोन की स्थापना के समय से लेकर इस घटना के दिन (25 मई को) तक राजकोट के सभी नगर निगम आयुक्तों को “घटित त्रासदी के लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए”। अदालत ने उन्हें अलग-अलग शपथ पत्र पेश करने का निर्देश दिया।

अधिकारियों के अनुसार गेम जोन का संचालन एनओसी (अनापत्ति प्रमाण पत्र) के बिना किया जा रहा था।

एक वकील ने सोमवार को अदालत को बताया कि दुर्भाग्यपूर्ण घटना के लिए तत्काल निवारक और सुधारात्मक उपायों की आवश्यकता है और राज्य सरकार को जवाबदेही तय करने के लिए आगे आना होगा और इसके लिए सख्त कदम उठाने की दरकार है।

इस पर अदालत ने कहा, ‘‘इतने सख्त कदम कौन उठाएगा? ईमानदारी से कहूं तो अब हमें सरकारी मशीनरी पर भरोसा नहीं रहा। इस अदालत के निर्देशों के चार साल बाद, उनकी तरफ से आश्वासन दिए जाने के बाद यह छठी घटना है।’’

अदालत ने कहा कि वे केवल यही चाहते हैं कि जिंदगियां चली जाएं और फिर मशीनरी हरकत में आए।

आरएमसी के वकील की इस दलील पर कि ‘गेम जोन’ ने अपेक्षित अनुमति के लिए अधिकारियों के पास आवेदन नहीं किया था, अदालत ने कहा, ‘‘ इतना बड़ा ढांचा खड़ा था, आपको दिख नहीं रहा था? आपको पता नहीं था? पूरा जोन पिछले ढाई साल से अस्तित्व में था, इस पर निगम का क्या स्पष्टीकरण है? उन्होंने किस अग्नि सुरक्षा के लिए आवेदन किया था? तो हम यह मान लें कि आप पूरे मामले में पूरी तरह से आंखें मूंदे रहे?”

अदालत ने यह भी पूछा कि निगम को पहली बार गेम जोन के बारे में कब पता चला?

पीठ ने पूछा “ तब तक क्या आप आस-पास मौजूद ऐसी किसी संरचना से पूरी तरह अनभिज्ञ थे? क्या आप एक जनहित याचिका पर अग्नि सुरक्षा को लेकर दिए गए इस न्यायालय के आदेशों से अवगत नहीं थे? तब आप क्या कर रहे थे? मीडिया में खबरें हैं कि उद्घाटन के समय आपके नगर आयुक्त वहां गये थे। 18 महीने तक निगम ने क्या किया? इसे दबाए रखा?’

पीठ ने कहा, “हम इस स्तर पर कोई भी आदेश पारित नहीं करना चाहते, हालांकि हम निश्चित रूप से यह सुझाव देना चाहेंगे कि संबंधित अधिकारियों को कर्तव्य में लापरवाही और इस अदालत के निर्देशों का पालन न करने के लिए निलंबित कर दिया जाए। हम नहीं चाहते कि उन्हें कोई मौका दिया जाए।

अदालत ने अहमदाबाद, वडोदरा, सूरत और राजकोट नगर निगमों के मुख्य अग्निशमन अधिकारियों को (अपने-अपने क्षेत्रों में) अग्नि सुरक्षा उपायों के संबंध हलफनामा दाखिल करने का भी निर्देश दिया।

राज्य सरकार ने प्रत्येक मृतक के परिजन को चार लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है। केंद्र सरकार ने भी प्रत्येक मृत व्यक्ति के परिजन को दो लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने का ऐलान किया है।

इस बीच, कांग्रेस की गुजरात इकाई ने मांग की है कि राजकोट गेम जोन में आग लगने के मामले में दर्ज प्राथमिकी में नगर निगम तथा राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों और सत्तारूढ़ भाजपा के पदाधिकारियों का नाम शामिल किया जाए।

पार्टी ने कहा कि निचले स्तर के कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई का कोई फायदा नहीं है।

भाषा जोहेब नरेश

नरेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)