बलात्कार का आरोपी गुरमीत राम रहीम जेल से आया बाहर.. डेरा सच्चा सौदा प्रमुख को छिपाकर निकाली पुलिस

बलात्कार का आरोपी गुरमीत राम रहीम जेल से आया बाहर.. डेरा सच्चा सौदा प्रमुख को छिपाकर निकाली पुलिस

बलात्कार का आरोपी गुरमीत राम रहीम जेल से आया बाहर.. डेरा सच्चा सौदा प्रमुख को छिपाकर निकाली पुलिस

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:54 PM IST, Published Date : February 8, 2022/9:35 am IST

हिसार, हरियाणा। दुष्‍कर्म और हत्‍या के केस में सजा काट रहे राम रहीम गुरमीत सिंह को 21 दिन की फरलो में जेल से बाहर आ गए हैं। इससे पहले वे पैरोल तो ले चुके हैं मगर उन्‍हें फरलो पहली बार मिली है। मगर बहुत से लोगों के मन में यह सवाल बना हुआ है कि आखिर फरलो और पैरोल में अंतर क्‍या है।

पढ़ें- ‘कोई मंदिर में प्रसाद चढ़ाने आए तो कैसे मना करें’.. रिश्वत लेते पकड़ा गया पूरा दफ्तर तो बोलीं महिला अफसर

फरलो?

फरलो, पैरोल से थोड़ा अलग होता है। फरलो का मतलब जेल से मिलने वाली छुट्‌टी से है। यह पारिवारिक, व्यक्तिगत और सामाजिक जिम्मेदारियां पूरी करने के लिए दी जाती है। एक साल में कोई कैदी तीन बार फरलो ले सकता है। पैरोल के लिए कारण बताना जरूरी होता है जबकि फरलो सजायाफ्ता कैदियों के मानसिक संतुलन को बनाए रखने के लिए और समाज से संबंध जोड़ने के लिए दिया जाता है पैरोल की अवधि एक महीने तक बढ़ाई जा सकती है जबकि फरलो ज्यादा से ज्यादा 14 दिन के लिए दिया जा सकता है। हालांकि पहली बार फरलो 21 दिन की दी गई है।

पढ़ें- स्कूल-कॉलेज तो खुले लेकिन नहीं पहुंच रहे छात्र.. परिसर में पसरा सन्नाटा

कारागार में बंद विचाराधीन व सजायाफ्ता कैदियों को दो तरह से रियायत दी जाती है। पहली पैरोल तथा दूसरी फरलो। कैदी को पैरोल तभी दी जाती है जब उसकी सजा का एक साल पूरा हो जाता है। फरलो उसी सूरत में दी जाती है जब सजा के तीन साल पूरे हो चुके हो। इसमें शर्त यह भी होती है कि कैदी का चाल चलन जेल के भीतर ठीक रहा हो। पैरोल की कई श्रेणी बनाई गई हैं।

पढ़ें- बिना चार्ज तय की 4011 KM की दूरी. इस इलेक्ट्रिक बाइक ने बनाया रिकॉर्ड

खेती के लिए छह सप्ताह की पैरोल दिए जाने का प्रावधान है। यह साल में एक बार ही मिल सकती है। बच्चों के स्कूल में दाखिले के लिए चार सप्ताह की पैरोल दी जा सकती है। यह भी साल में एक बार दी जा सकती है। मकान बनाने या उसकी मरम्मत के लिए तीन साल में एक बार पैरोल का प्रावधान है। यह तीन सप्ताह की अधिकतम हो सकती है। पैरोल की खास बात है कि यह सजा में नहीं जुड़ती है। यानी कैदी जितना समय पैरोल पर रहेगा उतनी सजा उसे काटनी होगी।

पढ़ें- शानदार मौका..मारुति ऑल्टो, स्विफ्ट और वैगनआर से लेकर कई कारों पर मिल रहे हैं ऑफर्स.. देखिए डिटेल

फरलो को लेकर ये है नियम

फरलो के बारे में अलग से नियम हैं। तीन साल की सजा पूरी होने के बाद यह शुरू होती है। पहली दफा इसकी अवधि 21 दिन की होती है तो उसके बाद यह सिमटकर 4 दिनों की रह जाती है। फरलो की खास बात है कि यह अवधि सजा में जुड़ जाती है। यानी जितनी अवधि इस कैटेगरी में कैदी जेल से बाहर रहा उतनी सजा कम हो जाएगी।

पढ़ें- धुल ICC अंडर-19 ‘मोस्ट वैल्यूएबल टीम’ के कप्तान चुने गए