न्यायालय ने साढ़े सात लाख मामलों की सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंस से की: प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ |

न्यायालय ने साढ़े सात लाख मामलों की सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंस से की: प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़

न्यायालय ने साढ़े सात लाख मामलों की सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंस से की: प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़

:   Modified Date:  May 15, 2024 / 05:51 PM IST, Published Date : May 15, 2024/5:51 pm IST

नयी दिल्ली, 15 मई (भाषा) भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी.वाई. चंद्रचूड़ ने बुधवार को कहा कि उच्चतम न्यायालय ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से 7,50,000 से अधिक मामलों की सुनवाई की और 1,50,000 से अधिक मामले ऑनलाइन दायर किए गए।

उन्होंने कहा कि यह सब इसीलिए हो पाया क्योंकि प्रौद्योगिकी ने न्यायपालिका समेत कानून और प्रवर्तन एजेंसियों के बीच नए आयाम स्थापित किए हैं।

‘डिजिटल परिवर्तन और न्यायिक दक्षता बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग’ विषय पर रियो डी जनेरियो में आयोजित जे20 शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए सीजेआई ने भारत की उपलब्धियों का जिक्र किया और कहा, ‘‘ऑनलाइन माध्यम से सुनवाई ने उच्चतम न्यायालय तक पहुंच को लोकतांत्रिक बना दिया है।’’

जे20 उच्चतम न्यायालयों या जी20 सदस्य देशों की संवैधानिक अदालतों के प्रमुखों का एक शिखर सम्मेलन है और ब्राजील की जी20 की अध्यक्षता के आलोक में इस वर्ष इसका आयोजन ब्राजील के संघीय उच्चतम न्यायालय द्वारा किया जा रहा है।

सीजेआई ने कहा कि भारतीय उच्चतम न्यायालय का वाद प्रबंधन तंत्र ‘फ्री एंड ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर’ (एफओएसएस) पर विकसित किया गया है और यह ‘‘दुनिया में सबसे बड़ा वाद प्रबंधन तंत्र’’ है।

न्यायामूर्ति चंद्रचूड़ ने यह भी कहा कि महामारी के बाद भी प्रत्यक्ष और ऑनलाइन तरीके से सुनवाई (हाईब्रिड सुनवाई) भारतीय अदालतों की विशेषता बन गई है और ऑनलाइन माध्यम से सुनवाई से उन लोगों को खासा फायदा हुआ जिन्हें प्रत्यक्ष रूप से अदालत में पेश होने के लिए काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।

उन्होंने कहा, ‘‘वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए 7,50,000 से अधिक मामलों की सुनवाई की गई। उच्चतम न्यायालय में महत्वपूर्ण संवैधानिक मामलों की सुनवाई को यूट्यूब चैनल पर सीधे दिखाया जाता है- जो संवैधानिक विचार-विमर्श को सभी नागरिकों के घरों और दिलों तक पहुंचाता हैं। भारत का उच्चतम न्यायालय आज लगभग पूरी तरह से कागज रहित है।’’

चंद्रचूड़ ने कहा, ‘‘प्रौद्योगिकी ने कानून और इसे लागू करने वाली संस्थाओं के बीच नए आयाम स्थापित किए हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘आखिरकार न्यायाधीश ही एकमात्र सार्वजनिक पदाधिकारी हैं जो ऊंचे मंच पर बैठे हैं, जो अवमानना के लिए दंडित करते हैं और चुनावी नुकसान के डर के बिना अलग-अलग निजी कक्षों में दूसरों के जीवन के बारे में महत्वपूर्ण निर्णय लेते हैं।’’

उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत अपने फैसलों को 16 क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद करने के लिए ‘सुप्रीम कोर्ट विधिक अनुवाद सॉफ्टवेयर’ (एसयूवीएएस ) का उपयोग कर रही है।

सीजेआई ने कहा, ‘‘अब तक 36,000 से अधिक मामलों का अनुवाद किया जा चुका है। महत्वपूर्ण संवैधानिक मामलों की इंटरनेट के माध्यम से सीधे प्रसारण और यूट्यूब रिकॉर्डिंग भी हैं। ‘डिजिटल सुप्रीम कोर्ट रिकॉर्ड्स’ के जरिए उच्चतम न्यायालय के फैसलों तक आसानी से पहुंच प्रदान की जाती है। इस रिकॉर्ड में 30,000 से अधिक पुराने फैसले मुफ्त में उपलब्ध हैं।’’

उन्होंने कहा कि न्यायाधीश ‘‘न तो राजकुमार हैं और न ही संप्रभु हैं जो स्पष्टीकरण की आवश्यकता से ऊपर हैं।’’ उन्होंने कहा कि न्यायपालिका समाज को अधिकार प्रदान करने में सक्षम बनाती है।

भाषा खारी प्रशांत

प्रशांत

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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