स्टार्ट-अप ने बेहतरीन प्रणोदक प्रणाली प्रस्तावित की, अंतरिक्ष में ईंधन स्टेशन स्थापित करने की योजना |

स्टार्ट-अप ने बेहतरीन प्रणोदक प्रणाली प्रस्तावित की, अंतरिक्ष में ईंधन स्टेशन स्थापित करने की योजना

स्टार्ट-अप ने बेहतरीन प्रणोदक प्रणाली प्रस्तावित की, अंतरिक्ष में ईंधन स्टेशन स्थापित करने की योजना

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:48 PM IST, Published Date : April 24, 2022/6:20 pm IST

नयी दिल्ली, 24 अप्रैल (भाषा) मुंबई स्थित एक स्टार्ट-अप के वैज्ञानिक ऐसी प्रौद्योगिकी पर काम कर रहे हैं जिससे कि अधिक प्रभावी प्रणोदक प्रणाली उपलब्ध कराई जा सके और अंतरिक्ष में ही उपग्रहों में ईंधन भरने की व्यवस्था की जा सके ताकि उनकी परिचालन अवधि में विस्तार हो।

‘मानसतु स्पेस’ पांच साल पुराना स्टार्ट-अप है जिसकी शुरुआत भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मुंबई के दो पूर्व छात्रों-तुषार जाधव और अश्तेष कुमार ने की है। मानसतु स्पेस उपग्रहों के लिए प्रणोदक प्रणाली लेकर आया है जो पारंपरिक प्रणोदक प्रणालियों में प्रयोग आने वाले कैंसरजनित ईंधन के विपरीत ‘हरित’ ईंधन का इस्तेमाल करती है।

मानसतु स्पेस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) जाधव ने कहा, ‘‘मौजूदा समय में हाइड्राजिन ईंधन का इस्तेमाल किया जाता है जो विषैला होने के साथ-साथ कैंसर बीमारी पैदा करने वाला है। हमने आसानी से उपलब्ध होने वाली हाइड्रोजन पेरोक्साइड का इस्तेमाल करने वाला प्रणोदक विकसित किया है और इसकी क्षमता को सुधारने के लिए कुछ अवयव मिलाए हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमारा ईंधन विषाक्तता के मामले में आम नमक जितना सुरक्षित है और 50 प्रतिशत अधिक सक्षम है।’’ जाधव ने दावा किया कि उनकी कंपनी द्वारा विकसित प्रणोदक प्रणाली मौजूदा समय में इस्तेमाल होने वाली प्रणोदक प्रणाली से 20 प्रतिशत अधिक प्रभावी है।

उल्लेखनीय है कि उपग्रह कक्षा में बने रहने के लिए उनमें लगे ‘थ्रस्टर’ का इस्तेमाल करते हैं, अंतरिक्ष में मौजूद कचरे से बचते हैं और एक बार अपनी परिचालन अवधि समाप्त होने के बाद ‘‘कब्रिस्तान’’ कक्षा में चले जाते हैं जिसे निस्तारण कक्षा भी कहा जाता है।

जाधव ने कहा, ‘‘कुछ विद्युत प्रणोदक प्रणाली के मुकाबले हमारी प्रणाली अधिक सक्षम है। यह अधिक ‘थ्रस्ट’ (धक्का देने की शक्ति) उत्पन्न करती है। यह मोपेड की तुलना मर्सिडीज से किए जाने की तरह है। हम तेजी से दिशा बदल सकते हैं और अंतरिक्ष के मलबे से बचने के लिए गति प्राप्त कर सकते हैं।’’

उन्होंने कहा कि उनके स्टार्ट-अप की योजना अंतरिक्ष में ईंधन स्टेशन स्थापित करने की है ताकि बाहरी अंतरिक्ष में उपग्रहों में दोबारा ईंधन भरा जा सके।

जाधव ने कहा, ‘‘जब उपग्रह का ईंधन खत्म हो जाता है तो इसकी परिचालन अवधि समाप्त हो जाती है। हम प्रस्ताव कर रहे हैं कि आप विकल्प के तौर पर दोबारा ईंधन भर सकते हैं। जैसा कि ईंधन खत्म होने पर हम अपनी कार को नहीं छोड़ते हैं। उपग्रहों में दोबारा ईंधन भरना अब संभव हो रहा है।’’

अमेरिका की कंपनी ऑर्बिट फैब ने भी उपग्रहों में दोबारा ईंधन भरने की सेवा शुरू करने की योजना का खुलासा किया है और उसका लक्ष्य निचली और भू-स्थिर कक्षा में ईंधन डिपो स्थापित करने की है।

मानसतु स्पेस के सह संस्थापक और मुख्य प्रौद्योगिकी अधिकारी अश्तेष कुमार ने कहा कि अगले दशक में 57 हजार उपग्रह प्रक्षेपित किए जाने और उपग्रह प्रणोदक बाजार 20 अरब डॉलर का होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि मानसतु की योजना सितंबर में अपनी उपग्रह प्रणोदक प्रणाली का परीक्षण कृत्रिम पर्यावरण में करने की है।

कुमार ने कहा, ‘‘हमारा लक्ष्य इस प्रौद्योगिकी का परीक्षण मार्च 2023 में बाह्य अंतरिक्ष में करने और जल्द वाणिज्यिक उत्पादन शुरू करने की है।’’

मानसतु स्पेस को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) से इसकी उपग्रह प्रणाली के लिए प्रणोदक प्रणाली का ठेका मिला है और साथ ही इसने स्टार्ट-अप फ्रांसीसी प्रक्षेपण यान कंपनी के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।

भाषा धीरज नेत्रपाल

नेत्रपाल

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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