यूजीसी ने आईआईटी, विश्वविद्यालयों से आर्कटिक नीति के तहत ऑनलाइन-मुक्त कोर्स का प्रस्ताव भेजने को कहा |

यूजीसी ने आईआईटी, विश्वविद्यालयों से आर्कटिक नीति के तहत ऑनलाइन-मुक्त कोर्स का प्रस्ताव भेजने को कहा

यूजीसी ने आईआईटी, विश्वविद्यालयों से आर्कटिक नीति के तहत ऑनलाइन-मुक्त कोर्स का प्रस्ताव भेजने को कहा

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:58 PM IST, Published Date : April 13, 2022/3:40 pm IST

नयी दिल्ली, 13 अप्रैल (भाषा) विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने देश के आईआईटी, विश्वविद्यालयों तथा महाविद्यालयों से भारत की नयी आर्कटिक नीति के छह स्तम्भों के आधार पर वृहद ऑनलाइन मुक्त कोर्स (एमओओसी) के विकास के लिए प्रस्ताव भेजने को कहा है।

यूजीसी के सचिव प्रो. राजनीश जैन ने इस बारे में देश के विश्वविद्यालयों के कुलपतियों, आईआईटी के निदेशकों और महाविद्यालयों के प्राचार्यो को पत्र लिखा है ।

पत्र में इन संस्थानों से भारत की नयी आर्कटिक नीति के छह स्तम्भों के आधार पर स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्तर पर वृहद ऑनलाइन मुक्त कोर्स (एमओओसी) के विकास का प्रस्ताव तैयार करने के लिए कहा गया है।

‘‘स्वयं’’ ऑनलाइन प्लेटफार्म के लिये तैयार किया जाने वाला यह प्रस्ताव 15 मई 2022 तक ऑनलाइन माध्यम से पेश करने को कहा गया है।

इसमें कहा गया है कि भारत सरकार ने 17 मार्च को भारत की आर्कटिक नीति पेश की थी जिसका शीर्षक ‘‘भारत और आर्कटिक: सतत विकास के लिए एक साझेदारी का निर्माण’’ है। इस नीति के छह स्तम्भों में वैज्ञानिक अनुसंधान और सहयोग को मजबूत करना, जलवायु और पर्यावरण संरक्षण, आर्थिक और मानव विकास, परिवहन और संपर्क, शासन और अंतरराष्ट्रीय सहयोग तथा आर्कटिक क्षेत्र में राष्ट्रीय क्षमता निर्माण- शामिल हैं।’’

यूजीसी के सचिव ने अपने पत्र में कहा कि भारत की आर्कटिक नीति देश को ऐसे भविष्य के लिये तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगी जहां मानवता के समक्ष पेश जलवायु परिवर्तन जैसी बड़ी चुनौतियों का सामूहिक प्रयासों के जरिये मुकाबला किया जा सकता है।

इसमें कहा गया है कि भारत की आर्कटिक नीति को लागू करने में अकादमिक क्षेत्र, शोध समुदाय, कारोबार एवं उद्योग सहित कई पक्षकार शामिल हैं । ऐसे में आर्कटिक ध्रुवीय अध्ययन के क्षेत्र में कोर्स, नौकरी एवं शोध के अवसरों की उपलब्धता के बारे में जागरूकता फैलाने की जरूरत है।

गौरतलब है कि भारत आर्कटिक परिषद में पर्यवेक्षक का दर्जा रखने वाले 13 देशों में शामिल है। यह परिषद एक उच्च स्तरीय अंतर-सरकारी मंच है जो आर्कटिक सरकारों और क्षेत्र के स्थानीय लोगों के सामने आने वाले मुद्दों पर गौर करता है।

भाषा दीपक दीपक मनीषा

मनीषा

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)