प्रयागराज, 11 मार्च (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक अधिनियम के मूल कानून को अद्यतन प्रकाशित नहीं कर अदालत और बार के सदस्यों को भ्रमित करने के लिए बृहस्पतिवार को यूनिवर्सल पब्लिशर लेक्सिस-नेक्सिस को कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा कि क्यों न उसके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए।
मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया की पीठ ने आर्य विद्या सभा, बुधाना, मुजफ्फरनगर की विशेष अपील पर सुनवाई करते हुए पाया कि 2020 में राज्य सरकार ने सोसाइटीज पंजीकरण अधिनियम, 1860 की धारा 4-बी में संशोधन किया था।
हालांकि सुनवाई के दौरान जब अदालत ने लेक्सिस-नेक्सिस द्वारा प्रकाशित मूल कानून के प्रावधानों पर गौर किया तो उसे इस तरह का कोई संशोधन नहीं मिला और अदालत को संशोधन का सत्यापन करने के लिए अन्य प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित पुस्तकों को खंगालना पड़ा।
अदालत ने कहा, ‘‘यूनिवर्सल पब्लिशर लेक्सिस-नेक्सिस ने सोसाइटीज पंजीकरण अधिनियम, 1860 शीर्षक से मूल कानून में धारा 4-बी का समावेश नहीं किया जिसकी वजह से अदालत का काफी समय दूसरी पुस्तकों को खंगालने में व्यर्थ हुआ। ’’
अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख 12 अप्रैल निर्धारित की।
भाषा राजेंद्र राजकुमार
राजकुमार
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