International Women’s Day Special : भोपाल। अंतरराष्ट्रीय महिल दिवस 8 मार्च को मनाया जाना है। हमारे देश और दुनिया में कई ऐसी महिलाएं रही जिन्होंने समाज और जनता के बीच आकर एक महत्वपूर्ण योगदान दिया। फिर चाहे वह मदर टेरेसा, इंदिरा गांधी, क्रांतिकारी लक्ष्मी बाई, दुर्गावती, ही क्यों न हो। ऐसे में हम अपने मध्यप्रदेश की पहली महिला राज्यपाल सरला ग्रेवाल को कैसे भूल सकते है। इनके रवैए के तो पूरा देश वाकिफ था। मध्यप्रदेश की पहली महिला राज्यपाल सरला ग्रेवाल जो 31 मार्च 1989 से 6 फरवरी 1990 तक प्रदेश की राज्यपाल रहीं।
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International Women’s Day Special : सरला ग्रेवाल ने प्रदेश में भले ही बहुत ही कम समय तक शासन चलाया हो लेकिन इनके कड़क और कठोर न्याय से पूरा प्रदेश ही नहीं अपितु देश तक चर्चा फैली हुई थी। उनके कड़क शासन और उनकी ओर से चलाए गए अभियान की वजह से आज भी याद किया जाता है। राजधानी की धरोहरों को साफ-सुथरा रखने और तालाबों को संरक्षित करने का उनका अभियान रंग लाया और वो पुरे प्रदेश में जल संरक्षण का भी अभियान छिड़ गया। सरोवर हमारी धरोहर नाम से चलाई गई मुहिम को लोग आज भी नहीं भूले हैं।
International Women’s Day Special : : सरसा ग्रेवाल राज्यपाल से पूर्व भारतीय प्रशासनिक सेवा में भारत की दूसरी महिला अधिकारी थीं। जिनको 1956 में शिमला की डिप्टी कमिश्नर बनाई गई थीं। वे देश में इस पद पर दायित्व निभाने वाली पहली महिला अधिकारी थीं। इतना ही नहीं 1962 में शिक्षा संचालक बनने वाली पहली IAS अधिकारी भी थी। फिर जाकर मध्य प्रदेश के राज्यपाल पद पर 31 मार्च 1989 से 5 फ़रवरी 1990 तक कार्य किया। सरला ग्रेवाल ने अंतिम सांस 29 जनवरी 2002 को चंडीगढ़ पंजाब ली।
International Women’s Day Special : सरला अग्रवाल ने शिक्षा के क्षेत्र में भी अपना सहयोग की भावना अंतर्गत भरपूर योगदान देते उन्होंने छोटे बच्चों की शिक्षा हाईस्कूल विश्वविद्यालय स्तर तक की शिक्षा के साथ-साथ महिलाओं को भी शिक्षा के क्षेत्र में जोर देते हुए कॉपी एवं पेन की भी वितरण की थी।जिसे महिलाएं शिक्षित होकर हमारे देश के विकास को आगे बढ़ा सके यह बात साबित भी हो गई जिससे बेटियां के लिए एक नारा निकली बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ और आज के समय हर एक महिलाएं पढ़ी-लिखी दिख रही हैं।
इसके अंतर्गत नई शिक्षा नीति का प्रारूप तैयार करने में उन्होंने बहुत सारे महत्वपूर्ण कार्य किए हुए। वे यूनेस्को की शिक्षा सलाहकार सरकार के समिति के व्यक्तिगत हैसियत के बदौलत वहां के प्रतिनिधि चुने गए। जिनेवा में इंटरनेशनल ब्यूरो ऑफ एजुकेशन द्वारा आयोजित सम्मेलन में हुए भारतीय प्रतिनिधि के रुप में सम्मिलित हुई थी।