इंदौर, 20 जून (भाषा) मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ ने राज्य सरकार को बृहस्पतिवार को निर्देश दिया कि वह 17 वर्षीय बेटी की सहमति से उसके पिता को यकृत का हिस्सा दान करने से जुड़े अनुरोध पर जल्द से जल्द फैसला करे और तीन दिन में अपनी रिपोर्ट सौंपे।
अदालत ने शहर के एक सरकारी अस्पताल के प्रबंधन को निर्देश दिया कि वह नाबालिग लड़की की स्वास्थ्य जांच करके यह बताए कि पिता को लीवर का हिस्सा दान करने के बाद कहीं बेटी को सेहत से जुड़ी कोई समस्या तो नहीं होगी।
इंदौर के ग्रामीण क्षेत्र में खेती-किसानी करने वाले शिवनारायण बाथम (42) ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर करके गुहार लगाई है कि उनकी 17 वर्षीय बेटी प्रीति को उन्हें लीवर का हिस्सा दान करने की मंजूरी दी जाए।
उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति विनय सर्राफ के सामने इस याचिका पर सुनवाई के दौरान बाथम के वकील ने कहा उनके मुवक्किल को लीवर का हिस्सा जल्द प्रत्यारोपित नहीं किया गया तो उनकी जान को खतरा हो सकता है।
राज्य सरकार के वकील ने अदालत को बताया गया कि यह मामला मंजूरी के लिए प्रदेश सरकार को भेजा गया है।
एकल पीठ ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा, ‘‘याचिकाकर्ता को लीवर का हिस्सा तुरंत प्रत्यारोपित किए जाने की जरूरत है। उसके स्वास्थ्य की स्थिति पर विचार के बाद प्रदेश सरकार को निर्देश दिया जाता है कि वह इस मामले में जल्द से जल्द फैसला करे और संभव हो तो तीन दिन में अपनी रिपोर्ट सौंपे।’’
अदालत ने बीमार पिता को लीवर का हिस्सा दान करने के लिए आगे आई नाबालिग लड़की को निर्देश दिया कि वह अपनी सेहत की जांच कराने के लिए शासकीय महाराजा यशवंतराव चिकित्सालय (एमवायएच) के अधीक्षक के सामने 21 जून (शुक्रवार) को हाजिर हो।
एकल पीठ ने एमवायएच के अधीक्षक को भी निर्देश दिया कि वह नाबालिग लड़की की स्वास्थ्य जांच के लिए एक समिति गठित करे।
उच्च न्यायालय ने कहा कि यह समिति अपनी राय दे कि नाबालिग लड़की अपने पिता को लीवर का हिस्सा दान कर सकती है या नहीं और कहीं इस अंगदान के बाद लड़की को भविष्य में कोई स्वास्थ्य समस्या तो नहीं होगी।
अदालत ने मामले में अगली सुनवाई के लिए 24 जून की तारीख तय की।
बाथम के वकील निलेश मनोरे ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि पिछले छह साल से लीवर की एक गंभीर बीमारी से जूझ रहे उनके मुवक्किल शहर के एक निजी अस्पताल में भर्ती हैं।
मनोरे ने बताया कि उनके मुवक्किल की पांच बेटियां हैं और लीवर का हिस्सा दान करने की इच्छा जताने वाली प्रीति (17) उनकी सबसे बड़ी संतान है।
उन्होंने बताया,‘‘बाथम के पिता 80 साल के हैं, जबकि उनकी पत्नी मधुमेह की मरीज हैं। इसलिए उनकी बेटी उन्हें लीवर का हिस्सा दान करने के लिए आगे आई है ताकि वह अपने बीमार पिता की जान बचा सके।’’
भाषा हर्ष जोहेब
जोहेब
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