Hospitals facing shortage of doctors

डॉक्टर्स की कमी से जूझ रहे अस्पताल, डॉक्टरों को नहीं रहा नौकरी का मोह, यही हाल रहा तो रह जाएंगे कंपाउंडर और नर्स के भरोसे

डॉक्टर्स की कमी से जूझ रहे अस्पताल, डॉक्टरों को नहीं रहा नौकरी का मोह! Hospitals facing shortage of doctors

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:53 PM IST, Published Date : April 21, 2022/11:57 pm IST

भोपाल: shortage of doctors MP के सरकारी अस्पतालों में भले ही व्यवस्थाओँ को बढ़ाने की कवायद सरकार कर रही है, लेकिन अब भी अस्पताल डॉक्टर्स की कमी से जूझ रहे हैं। सरकार इस कमी को दूर नहीं कर पा रही है, लेकिन इससे भी बढ़ी चिंता की बात ये है कि अब सरकारी अस्पतालों से डॉक्टर्स का भी मोह भंग होता जा रहा है।

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shortage of doctors मध्यप्रदेश में कोरोना काल के दौरान सरकार ने भले ही अस्पतालों में मशीनों से लेकर बिस्तर तक बढ़ाने का काम किया हो लेकिन अब भी डॉक्टर्स की कमी पूरी नहीं हो पाई है। समय-समय पर डॉक्टरों की नियुक्तियां निकालने के दावे होते हैं लेकिन हकीकत ये है कि डॉक्टर्स ने इसको लेकर जरा भी दिलचस्पी नहीं दिखाई। MP मेडिकल काउंसिल के मुताबिक प्रदेश में भले ही 57 हजार डॉक्टर काम कर रहे हैं लेकिन असल में इनकी संख्या 18 हजार के करीब है। इस मुद्दें को लेकर कांग्रेस सरकार पर नाकामी का आरोप लगा रही है तो वहीं, चिकित्सा शिक्षा मंत्री कांग्रेस को ही 15 साल के कार्यकाल को लेकर घेर रहे हैं।

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सरकार और विपक्ष भले ही एक-दूसरे को घेर रहे हों लेकिन हकीकत ये है कि सरकारी नौकरी से डॉक्टरों को जहा भी मोह नहीं रह गया है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 2019 में 704, 2020 में 1102 और 2021 में 1188 डॉक्टर प्रैक्टिस करने दूसरे प्रदेश चलते बने। यहां तक कि भोपाल के 3 बड़े सरकारी अस्पतालों में भी डॉक्टरों को टोटा है। हमीदिया अस्पताल में ही पिछले एक साल में 10 से ज्यादा डॉक्टर नौकरी छोड़ चुके हैं। जबकि जेपी अस्पताल के कई विभागों में एक्सपर्ट्स के पद खाली हैं। कमोबेश यही हालत एम्स की भी है, डॉक्टर्स एसोसिएशन कई बार सरकार को इन हालात से रूबरू करा चुके हैं लेकिन उन नीतियों पर अब तक गौर नहीं किया गया जो डॉक्टरों को पलायन की वजह मानी जा रही हैं।

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जरूरत इस बात की है कि नीतियों में उस खामी को दूर किया जाए जो मध्यप्रदेश से डॉक्टरों को दूर कर रही हैं। क्योंकि अगर ऐसे ही डॉक्टर नौकरी छोड़ते रहे तो सरकारी अस्पताल कंपाउंडर और नर्स के भरोसे ही रह जाएंगे।

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