जबलपुर, 12 नवंबर (भाषा) मध्य प्रदेश के जबलपुर स्थित पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय तीन जंगली जानवरों की खोपड़ी पर अनुसंधान कर रहा है जिससे जानवरों के सड़ी-गली अवस्था में शव मिलने के बाद उनकी प्रजातियों की पहचान करने में मदद मिलेगी। एक अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
अधिकारी ने कहा कि नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय का वन्यजीव फॉरेंसिक एवं स्वास्थ्य स्कूल हिरण की प्रजातियों-सांभर, चीतल और जंगली सूअर की प्रजातियों की खोपड़ी पर अनुसंधान कर रहा है।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एसपी तिवारी ने कहा कि शुरुआत में यह अनुसंधान तीन वन्यजीवों की प्रजातियों सांभर, चीतल और जंगली सूअर पर किया गया है।
उन्होंने कहा कि जानवरों की खोपड़ी कठोर होती है और आसानी से सड़ती नहीं है, इसलिए अनुसंधान के बाद फॉरेंसिक प्रयोगशाला में आंकड़े उपलब्ध होने से उनकी प्रजातियों की पहचान करना आसान होगा।
तिवारी ने कहा कि मध्य प्रदेश का वन्य जीवन समृद्ध है और जंगली जानवरों का डाटाबेस बनाने के लिए चरणबद्ध तरीके से अनुसंधान किया गया है।
कुलपति ने कहा कि वन इलाकों में अवैध शिकार की घटनाएं समाचारों में आती रहती हैं और यदि डीएनए एवं जंगली जानवरों के शरीर के अंगों का डाटा उपलब्ध होगा तो कम समय में प्रजातियों की पहचान की जा सकती है।
वन्यजीव फॉरेंसिक एवं स्वास्थ्य स्कूल के प्रमुख अन्वेषक डॉ देवेन्द्र पोधाड़े ने अनुसंधान के बारे में कहा कि यह अध्ययन जंगली जानवर के शरीर के विभिन्न पहलुओं पर केंद्रित है। उन्होंने कहा कि इसमें सांभर, चीतल और जंगली सूअर के नर और मादा के लिए अलग-अलग डाटा तैयार किया जाएगा तथा इस अनुसंधान को प्रदेश के वन विभाग ने वित्त पोषित किया है।
भाषा सं दिमो नेत्रपाल
नेत्रपाल
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