High Court hearing on Transport Commissioner

High Court hearing on Transport Commissioner : ‘क्या खुद को कानून से ऊपर समझते हैं’..! हाईकोर्ट ने परिवहन आयुक्त को लगाई फटकार, जानिए पूरा माजरा

High Court hearing on Transport Commissioner: हाईकोर्ट में उनसे पूछा कि क्या वो खुद को कानून से ऊपर समझते हैं।

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Reported By: Vijendra Pandey

Modified Date:  January 18, 2024 / 06:39 PM IST, Published Date : January 18, 2024/6:39 pm IST

High Court hearing on Transport Commissioner : जबलपुर। मध्यप्रदेश में मोटर व्हीकल एक्ट के प्रावधानों का पालन ना करवाने पर हाईकोर्ट ने प्रदेश के परिवहन आयुक्त को जमकर फटकार लगाई है। हाईकोर्ट के निर्देश पर आज प्रदेश के परिवहन सचिव अरविंद सक्सेना और एडीजीपी मुख्य न्यायाधीश आर वी मलिमठ की डिवीज़न बैंच को सामने पेश हुए। हाईकोर्ट के निर्देशों का पालन ना होने पर चीफ जस्टिस ने परिवहन सचिव को जमकर फटकार लगाई और खुली कोर्ट में उनसे पूछा कि क्या वो खुद को कानून से ऊपर समझते हैं।

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High Court hearing on Transport Commissioner : कोर्ट ने कहा कि परिवहन सचिव और उनके अमले ने प्रदेश में हैलमेट को अनिवार्य करवाने, चार पहिया वाहन चालकों से सीट बैल्ट लगवाने और वाहनों में हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगवाने में कोई कार्यवाही नहीं की। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की डिवीज़न बैंच ने परिवहन सचिव के लापरवाह रवैये पर जमकर नाराज़गी जताई और कहा कि उन्होने कोर्ट के आदेशों का पालन करने में क्या कार्यवाई की इसका ब्यौरा उन्हें देना होगा। हाईकोर्ट ने परिवहन सचिव अरविंद सक्सेना को शो कॉज़ यानि कारण बताओ नोटिस दिया है और कोर्ट के निर्देशों का पालन ना करने पर लिखित स्पष्टीकरण मांगा है। हाईकोर्ट ने मामले पर अगली सुनवाई 1 हफ्ते बाद 24 जनवरी को तय की है।

 

बता दें कि हाईकोर्ट में ये याचिका ग्वालियर की एक विधि छात्रा ऐश्वर्या शाण्डिल्य ने दायर की थी जिसमें प्रदेश में हैलमेट लगाने, सीट बैल्ट लगाने और वाहनों में हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगाने जैसे मोटर व्हीकल एक्ट के प्रावधानों का पालन ना होने को चुनौती दी गई थी। इसी मामले पर पर सुनवाई के दौरान जुलाई माह में परिवहन आयुक्त की ओर से कोर्ट में ये अंडरटेकिंग दी गई थी कि राज्य में 15 जनवरी तक मोटर व्हीकल एक्ट का पालन सुनिश्चित करवाया जाएगा और अगर ऐसा नहीं होता है तो परिवहन आयुक्त के खिलाफ न्यायालय की अवमानना की कार्यवाही की जा सकती है। इसी मामले में कार्यवाही ना होने पर अब हाईकोर्ट ने सख़्त नाराज़गी जताई है और परिवहन सचिव सहित लापहवाह पक्षकारों से एक हफ्ते में लिखित स्पष्टीकरण तलब किया है।

 

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