पुलिस, निर्वाचन अधिकारियों ने ईवीएम ‘अनलॉक’ होने संबंधी खबर का खंडन किया |

पुलिस, निर्वाचन अधिकारियों ने ईवीएम ‘अनलॉक’ होने संबंधी खबर का खंडन किया

पुलिस, निर्वाचन अधिकारियों ने ईवीएम ‘अनलॉक’ होने संबंधी खबर का खंडन किया

:   Modified Date:  June 16, 2024 / 10:46 PM IST, Published Date : June 16, 2024/10:46 pm IST

मुंबई, 16 जून (भाषा) इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) को एक स्वतंत्र प्रणाली बताते हुए एक निर्वाचन अधिकारी ने रविवार को कहा कि इसमें किसी भी तरह की छेड़छाड़ से बचाव के लिए ‘मजबूत प्रशासनिक सुरक्षा उपाय’ हैं और इसे ‘अनलॉक’ करने के लिए किसी ओटीपी (वन टाइम पासवर्ड) की कोई जरूरत नहीं है।

मुंबई उत्तर पश्चिम लोकसभा क्षेत्र की निर्वाचन अधिकारी वंदना सूर्यवंशी, ‘मिड-डे’ समाचार पत्र में प्रकाशित एक खबर पर प्रतिक्रिया दे रही थीं। खबर में कहा गया है कि शिवसेना उम्मीदवार रवीन्द्र वायकर के एक रिश्तेदार ने 4 जून को मतगणना के दौरान एक मोबाइल फोन का इस्तेमाल किया था, जो ईवीएम से जुड़ा हुआ था। वायकर मात्र 48 वोट से चुनाव जीते थे।

सूर्यवंशी ने रविवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘ईवीएम एक स्वतंत्र प्रणाली है और इसे ‘अनलॉक’ करने के लिए किसी ओटीपी की कोई जरूरत नहीं होती है। इसे प्रोग्राम नहीं किया जा सकता है तथा इसमें वायरलेस से संचार स्थापित नहीं किया जा सकता। यह एक समाचार पत्र द्वारा फैलाया जा रहा झूठ है।’’

सूर्यवंशी ने कहा कि कथित रूप से झूठी खबर प्रकाशित करने के लिए ‘मिड-डे’ और मराठी दैनिक ‘लोकमत’ को नोटिस जारी किए गए हैं। उनसे 24 घंटे के भीतर जवाब देने को कहा गया गया है, साथ ही यह भी कहा गया है कि क्यों न उनके खिलाफ धारा 499 और 505 के तहत आपराधिक कार्यवाही शुरू की जाए।

वनराई पुलिस के अनुसार, वायकर के रिश्तेदार मंगेश पांडिलकर पर चार जून को आम चुनाव के परिणाम घोषित होने के दिन गोरेगांव स्थित एक मतगणना केंद्र पर मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने के आरोप में भारतीय दंड संहिता की धारा 188 (आधिकारिक आदेश की अवहेलना) के तहत एक मामला दर्ज किया गया है।

सूर्यवंशी ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि जोगेश्वरी विधानसभा क्षेत्र के डेटा एंट्री ऑपरेटर दिनेश गुरव का निजी मोबाइल फोन एक अनधिकृत व्यक्ति के पास पाया गया और इस संबंध में कार्रवाई की जा रही है।

सूर्यवंशी ने कहा, ‘डेटा प्रविष्टि और मतगणना दो अलग-अलग पहलू हैं। एक ओटीपी एआरओ (सहायक निर्वाचन अधिकारी) को डेटा प्रविष्टि के लिए इनकोर लॉगिन सिस्टम खोलने में सक्षम बनाता है। मतगणना प्रक्रिया स्वतंत्र है और इसका मोबाइल फोन के अनधिकृत उपयोग से कोई लेना-देना नहीं है, जो एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है और इसकी जांच की जा रही है।’

उन्होंने कहा, ‘‘किसी भी तरह की छेड़छाड़ की संभावना को खत्म करने के लिए उन्नत तकनीकी विशेषताएं और मजबूत प्रशासनिक सुरक्षा उपाय किए गए हैं। सुरक्षा उपायों में उम्मीदवारों या उनके एजेंट की मौजूदगी में सब कुछ करना शामिल है।’

अधिकारी ने कहा कि न तो वायकर और न ही शिवसेना (यूबीटी) के हारे हुए उम्मीदवार अमोल कीर्तिकर ने पुनर्मतगणना की मांग की थी, लेकिन अमान्य डाक मतपत्रों के सत्यापन की मांग की गई थी और ऐसा किया गया।

सूर्यवंशी ने कहा, ‘‘ईटीपीबीएस (इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्रेषित डाक मतपत्र प्रणाली) की गिनती भौतिक रूप (डाक मतपत्र) में होती है, न कि इलेक्ट्रॉनिक रूप में, जैसा कि गलत विमर्श के तहत फैलाया जा रहा है। ईटीपीबीएस, ईवीएम और डाक मतपत्र (ईटीपीबीएस सहित) की गिनती के लिए प्रत्येक मेज पर हर मतगणना शीट पर मतगणना एजेंट द्वारा उचित जांच के बाद हस्ताक्षर किए जाते हैं।’’

सूर्यवंशी ने कहा कि इस मामले से संबंधित सीसीटीवी फुटेज तब तक नहीं दी जा सकती, जब तक कि सक्षम अदालत से आदेश न मिल जाए।

मुंबई पुलिस के एक अधिकारी ने भी खबर का खंडन किया और कहा कि वनराई पुलिस थाने के किसी भी अधिकारी ने ऐसी कोई सूचना (ईवीएम को अनलॉक करने के संबंध में ओटीपी जेनरेट करने के लिए मोबाइल फोन के इस्तेमाल की बात) नहीं दी है।

इस बीच, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि मुंबई उत्तर पश्चिम लोकसभा सीट के चुनाव परिणाम पर रोक लगायी जानी चाहिए।

उन्होंने मांग की कि भारत के निर्वाचन आयोग को सभी दलों की बैठक बुलानी चाहिए और इस मुद्दे पर गहन चर्चा करनी चाहिए।

चव्हाण ने कहा, ‘मोबाइल फोन के अनधिकृत इस्तेमाल की जांच होनी चाहिए। प्राथमिकी सार्वजनिक नहीं की गई है।’

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के प्रवक्ता क्लाइड क्रास्टो ने कहा कि यह तथ्य कि रवींद्र वायकर के एक रिश्तेदार के पास निर्वाचन आयोग के अधिकारी के मोबाइल फोन तक पहुंच थी, चिंता का विषय है।

क्रास्टो ने कहा कि निर्वाचन आयोग के एक अधिकारी ने कहा है कि ओटीपी केवल वोट की गिनती की प्रक्रिया के डेटा प्रविष्टि के लिए आवश्यक है, जिसका अर्थ है कि यह ओटीपी जेनरेट किये जाने से वायकर के रिश्तेदार को भी डेटा तक पहुंच मिल सकती है और उसमें उनके या उनकी टीम द्वारा हेरफेर किया जा सकता है।

उन्होंने कहा, ‘यह बहुत गंभीर है। आयोग को यह स्पष्ट करने की जरूरत है कि जब फोन वायकर की टीम के पास था, उस दौरान क्या हुआ था।’

भाषा अमित सुभाष

सुभाष

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)