नासिक जिले के गांवों ने ‘‘विकास की कमी’’ के कारण गुजरात में विलय की मांग की: राकांपा नेता |

नासिक जिले के गांवों ने ‘‘विकास की कमी’’ के कारण गुजरात में विलय की मांग की: राकांपा नेता

नासिक जिले के गांवों ने ‘‘विकास की कमी’’ के कारण गुजरात में विलय की मांग की: राकांपा नेता

:   Modified Date:  December 2, 2022 / 08:27 PM IST, Published Date : December 2, 2022/8:27 pm IST

नासिक, दो दिसंबर (भाषा) राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के एक स्थानीय नेता ने शुक्रवार को दावा किया कि उत्तरी महाराष्ट्र के नासिक जिले के कुछ गांवों ने मांग की है कि उन्हें गुजरात में शामिल किया जाना चाहिए क्योंकि वे वर्तमान में उदासीनता और विकास की कमी की समस्या झेल रहे हैं।

यह मांग कर्नाटक के मुख्यमंत्री के इस दावे पर उपजे विवाद के बाद आई है कि दक्षिणी महाराष्ट्र में जाट तहसील के गांव कभी उनके राज्य में विलय करना चाहते थे।

राकांपा की सुरगाणा तालुका इकाई के प्रमुख चिंतामन गावित ने कहा, ‘‘आजादी के 75 साल बाद भी नासिक के सुरगाणा तालुका के कई गांवों में बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं। अगर आप इन गांवों का विकास नहीं कर सकते, तो इन्हें गुजरात में मिला दें।’’

उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि उन्होंने 30 नवंबर को तहसीलदार सचिन मलिक को इस आशय का एक ज्ञापन सौंपा था।

गावित ने कहा, ‘‘इसका किसी भी राजनीतिक दल से कोई लेना-देना नहीं है। सुभाष नगर, डोलारे, अलंगुन और काठीपाड़ा गांवों के निवासी इस मांग को लेकर एक साथ आए हैं तथा और भी अन्य गांव हैं। गुजरात का धरमपुर तालुका 15 किलोमीटर दूर है और वासदा 10 किलोमीटर दूर है। हम अक्सर वहां जाते हैं और हम वर्षों से विकास में अंतर देख रहे हैं।’’

उन्होंने दावा किया कि उन्हें नंदुरबार जिले के धड़गांव और नवापुर के लोगों के भी फोन आए जिन्होंने गुजरात में शामिल किए जाने की मांग का समर्थन किया।

नासिक और नंदुरबार जिलों के सीमावर्ती क्षेत्र मुख्य रूप से आदिवासी बहुल हैं।

गावित ने कहा, ‘‘हमने चार दिसंबर को पंगारने गांव में एक बैठक बुलाई है, जहां आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।’’

उन्होंने दावा किया कि गुजरात के सीमावर्ती इलाकों में अच्छी सड़कें, विश्वसनीय बिजली आपूर्ति और स्वास्थ्य, पानी और परिवहन सुविधाएं हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘महाराष्ट्र में अच्छी सड़कें नहीं हैं, चौबीसों घंटै बिजली नहीं है और लोगों को हर साल पानी की कमी का सामना करना पड़ता है। सिंचाई परियोजनाएं नहीं हैं। नतीजतन, खेती पूरी तरह से मानसून पर निर्भर है। लोग आजीविका के लिए वर्षों से पलायन कर रहे हैं।’’

तहसीलदार को सौंपे गए ज्ञापन में कहा गया है कि महाराष्ट्र सरकार को या तो ‘‘विकास करना चाहिए’’ या इन गांवों के गुजरात में विलय की अनुमति देनी चाहिए।

भाषा जितेंद्र सिम्मी

सिम्मी

 

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