नयी दिल्ली, तीन दिसंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को फ्रैंकलिन टेम्पलटन म्यूचुअल फंड से कहा कि वह एक सप्ताह के भीतर छह बंद की गई योजनाओं के निवेशकों की सहमति लेने के लिए उनकी बैठक बुलाए। इसके साथ ही न्यायालय ने कहा है कि अगले आदेश तक निवेशक यूनिट्स को बेच नहीं सकेंगे।
शीर्ष न्यायालय ने फ्रैंकलिन टेम्पलटन द्वारा कर्नाटक उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ दायर एक अपील पर सुनवाई के लिए सहमति भी व्यक्त की, जिसमें उच्च न्यायालय ने निवेशकों की पूर्व सहमति के बिना ऋण योजनाओं को बंद करने से फंड हाउस पर रोक लगाई थी।
न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने कहा कि यह बड़ा मसला है और लोग अपना धन वापस चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि किसी भी पक्ष के साथ भेदभाव किए बिना ट्रस्टियों को यूनिटधारकों की बैठक बुलाने की इजाजत दी जाती है, ताकि इस फैसले पर उनकी सहमति हासिल की जा सके और इस संबंध में एक सप्ताह के भीतर कदम उठाए जाएं।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के वकील प्रताप वेणुगोपाल ने कहा कि बाजार नियामक की इस प्रक्रिया को पूरा करने में कोई भूमिका नहीं है, लेकिन उसने इस संबंध में भारतीय रिजर्व बैंक को लिखा था। मामले की सुनवाई अगले सप्ताह होगी।
इससे पहले कर्नाटक उच्च न्यायालय ने 24 अक्टूबर को कहा था कि फ्रैंकलिन टेम्पलटन ट्रस्टी सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड के छह योजनाओं को बंद करने का फैसला तब तक लागू नहीं किया जा सकता है, जब तक कि यूनिटधारकों की सहमति नहीं मिल जाती।
फ्रेंकलिन ने कोरोना वायरस महामारी के चलते निकासी दबाव और बांड बाजार में तरलता की कमी का हवाला देकर इन योजनाओं को अप्रैल, 2020 में बंद कर दिया था।
बंद होने वाले छह फंड हैं – फ्रैंकलिन इंडिया लो ड्यूरेशन फंड, फ्रैंकलिन इंडिया डायनेमिक एक्यूरल फंड, फ्रैंकलिन इंडिया क्रेडिट रिस्क फंड, फ्रैंकलिन इंडिया शॉर्ट टर्म इनकम प्लान, फ्रैंकलिन इंडिया अल्ट्रा शॉर्ट बॉन्ड फंड और फ्रैंकलिन इंडिया इनकम अपॉर्चुनिटीज फंड। इन योजनाओं के तहत कुल 25,000 करोड़ रुपये की परिसंपत्तियों का प्रबंधन किया जाता था।
भाषा पाण्डेय अजय
अजय
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