शून्य कूपन बांड पर आरबीआई के चिंता जताने के बाद सरकारी बैकों में पूंजी डालने के लिए नए मॉडल पर विचार | New model to pour capital into government banks after RBI worries over zero coupon bonds

शून्य कूपन बांड पर आरबीआई के चिंता जताने के बाद सरकारी बैकों में पूंजी डालने के लिए नए मॉडल पर विचार

शून्य कूपन बांड पर आरबीआई के चिंता जताने के बाद सरकारी बैकों में पूंजी डालने के लिए नए मॉडल पर विचार

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:34 PM IST, Published Date : January 17, 2021/9:16 am IST

नयी दिल्ली, 17 जनवरी (भाषा) सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में नई पूंजी डालने के लिए शून्य कूपन बांड जारी करने पर भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा चिंता जताए जाने के बाद वित्त मंत्रालय दूसरे वहनीय विकल्पों पर विचार कर रहा है। सूत्रों का कहना है कि अब वित्त मंत्रालय बैंकों में पूंजी डालने के लिए बैंक निवेश कंपनी (बीआईसी) गठित करने सहित अन्य विकल्पों पर विचार कर रहा है।

पी जे नायक समिति ने भारत में बैंकों के बोर्ड संचालन पर तैयार अपनी रिपोर्ट में बीआईसी को बैंकों की होल्डिंग कंपनी के रूप में स्थापित करने या मुख्य निवेश कंपनी बनाये जाने का सुझाव दिया था।

रिपोर्ट में बैंकों में सरकार के शेयर बीआईसी में स्थानांतरित करने का सुझाव दिया गया था, जो इन सभी बैंकों की मूल होल्डिंग कंपनी बन जाएगी। इससे सार्वजनिक क्षेत्र के सभी बैंक ‘लिमिटेड’ बैंक बन जाएंगे। बीआईसी स्वायत्त कंपनी होगी और उसे निदेशक मंडल के सदस्य नियुक्त करने और अनुषंगियों के बारे में अन्य नीतिगत फैसले लेने का अधिकार होगा।

सूत्रों ने कहा कि बीआईसी एक सुपर होल्डिंग कंपनी होगी। वर्ष 2014 में आयोजित बैंकरों के पहले ज्ञान संगम रिट्रीट में इस पर विचार-विमर्श किया गया था। यह प्रस्ताव किया गया था कि होल्डिंग कंपनी बैंकों की पूंजी जरूरत का ध्यान रखेगी ओर सरकार के समर्थन के बिना उनके लिए कोष का प्रबंध करेगी।

इसके अलावा यह पूंजी जुटाने के वैकल्पिक तरीकों पर मसलन सस्ती पूंजी जुटाने के लिए गैर-वोटिंग शेयरों की बिक्री करने पर भी विचार कर सकती है। इससे सरकारी बैंकों की सरकार के समर्थन पर निर्भरता कम हो सकेगी।

ब्याज के बोझ और वित्तीय दबाव से बचने के लिए सरकार ने बैंकों की पूंजी जरूरतों को पूरा करने के लिए शून्य-कूपन बांड जारी करने का फैसला किया है।

इसका पहला परीक्षण पंजाब एंड सिंध बैंक पर किया गया है। इस व्यवस्था के तहत पिछले साल पंजाब एंड सिंध बैंक में छह विभिन्न परिपक्वताओं वाले शून्य-कूपन बांड जारी कर 5,500 करोड़ रुपये की पूंजी डाली गई है।

हालांकि, रिजर्व बैंक ने सरकारी बैंकों के पुनर्पूंजीकरण के लिए शून्य-कूपन बांड को लेकर चिंता जताई है। सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय बैंक ने इस माध्यम से किसी बैंक में पूंजी डालने के लिए दक्ष तरीके से गणना के मुद्दे को उठाया हैं। सूत्रों ने कहा कि ये बांड आमतौर पर गैर-ब्याज वाले होते हैं, लेकिन इसके अंकित मूल्य पर बड़ी छूट मिलती है। ऐसे में इसका शुद्ध मौजूदा मूल्य निकालना मुश्किल होता है।

भाषा अजय

अजय महाबीर

महाबीर

 

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