वातानुकूलित कमरे की हवा में कोरोना वायरस को मारने वाली प्रौद्योगिकी को आरजीसीबी ने प्रमाणित किया | RGCB certifies technology that kill corona virus in air air of air conditioned room

वातानुकूलित कमरे की हवा में कोरोना वायरस को मारने वाली प्रौद्योगिकी को आरजीसीबी ने प्रमाणित किया

वातानुकूलित कमरे की हवा में कोरोना वायरस को मारने वाली प्रौद्योगिकी को आरजीसीबी ने प्रमाणित किया

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:58 PM IST, Published Date : March 1, 2021/11:00 am IST

तिरुवनंतपुरम, एक मार्च (भाषा) केरल में वैज्ञानिकों ने एक ऐसी प्रौद्योगिकी विकसित की है जो बंद वातानुकूलित कमरे या हॉल की हवा में मौजूद कोरोना वायरस को मारकर वायु को सुरक्षित बनाती है।

केरल में सरकारी राजीव गांधी जैव प्रौद्योगिकी केंद्र (आरजीसीबी) ने ‘एरोलाइज़’ को प्रमाणित किया है। यह एक पेटेंट वायु विषाणुशानक है जो बंद वातानुकूलित वातावरण में मौजूद विषाणुओं को मारकर वायु को 100 फीसदी साफ करता है।

भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग के तहत आने वाले राष्ट्रीय स्वायत्त संस्थान आरजीसीबी ने प्रमाण पत्र जारी किया है। संशोधित आईएसओ प्रोटोकॉल के मुताबिक, आरजीसीबी ने उत्पाद की प्रभावकारिता जांचने के लिए इन्फ्लुएंज़ा ए, 2009 एच1एन1-स्वाइन फ्लू, कोरोना वायरस ई जीन और कोरोना वायरस एस जीन को विषाणुनाशक में डाला गया। इसके बाद अलग-अलग समय पर हवा के नमूने लेकर आरटी-पीसीआर पद्धति से उसमें रोगाणु की जांच की गई।

आरजीसीबी का प्रमाणीकरण पुष्टि करता है कि ‘एरोलाइज़’ एएसआर 600 वायु विषाणुनाशक इन्फ्लुएंज़ा ए, 2009 एच1एन1-स्वाइन फ्लू, कोरोना वायरस ई जीन और कोरोना वायरस एस जीन को 100 फीसदी खत्म करने में कारगर है।

यहां एक बयान में बताया गया है कि यह प्रौद्योगिकी नुकसानदेह विषाणुओं को न फिल्टर करती है और न जमा करती है, बल्कि हवा में ही मार देती है। इससे सभागार, अस्पताल और दफ्तर आदि जैसे बंद वातानुकूलित कमरे में जीवाणु-मुक्त व स्वस्थ वातावरण मिलता है।

उसमें बताया गया है कि ‘एयरोलाइज़’ ‘पैनाज़ बायोसिक्युरिटी सॉल्यूशन लिमिटिड’ का उत्पाद है जो केरल सरकार के केरल स्टार्टअप मिशन में पंजीकृत है। इसका उत्पादन राज्य के उद्योग विभाग की औद्योगिक संपत्ति में स्थित फैक्ट्री में हुआ है।

आरजीसीबी के निदेशक चंद्रभास नारायण ने राज्य सचिवालय में राज्य की स्वास्थ्य मंत्री केके शैलेजा को उनके कार्यालय में प्रमाण पत्र सौंपा।

बयान में कहा गया है कि इस प्रौद्योगिकी को भारतीय वैज्ञानिकों ने विकसित किया है।

भाषा

नोमान नरेश

नरेश

 

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