माता कौशल्या की जन्मभूमि चंदखुरी में बनेगा भव्य मंदिर, सीएम बघेल ने सपरिवार किए दर्शन | A grand temple to be built in Chandkuri

माता कौशल्या की जन्मभूमि चंदखुरी में बनेगा भव्य मंदिर, सीएम बघेल ने सपरिवार किए दर्शन

माता कौशल्या की जन्मभूमि चंदखुरी में बनेगा भव्य मंदिर, सीएम बघेल ने सपरिवार किए दर्शन

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:26 PM IST, Published Date : July 29, 2020/9:28 am IST

रायपुर। छत्तीसगढ़ में राजधानी रायपुर के समीप माता कौशल्या की जन्मभूमि चंदखुरी में शीघ्र ही भव्य मंदिर का निर्माण शुरू हो जाएगा। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज धर्मपत्नी मुक्तेश्वरी बघेल और परिवार के सदस्यों के साथ चंदखुरी पहुंचकर वहां स्थित माता कौशल्या के प्राचीन मंदिर में पूजा-अर्चना की और प्रदेश की खुशहाली और समृद्धि की कामना की। उन्होंने मंदिर के सौन्दर्यीकरण और परिसर के विकास के लिए तैयार परियोजना की विस्तृत जानकारी ली। मुख्यमंत्री ने कहा कि मंदिर के सौन्दर्यीकरण के दौरान मंदिर के मूलस्वरूप को यथावत रखते हुए यहां आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधाओं का विशेष रूप से ध्यान रखा जाए।

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उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ सरकार राम वन गमन पथ पर पड़ने वाले महत्वपूर्ण स्थलों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर रही है। इसकी शुरूआत चंदखुरी स्थित माता कौशल्या के मंदिर के सौंदर्यीकरण कार्य के बीते 22 दिसम्बर को भूमि-पूजन के साथ कर दी गई है। भव्य मंदिर की निर्माण की कार्ययोजना में परिसर में विद्युतीकरण, तालाब का सौंदर्यीकरण, घाट निर्माण, पार्किंग, परिक्रमा पथ का विकास आदि कार्य शामिल किए गए हैं।

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मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि छत्तीसगढ़ भगवान राम का ननिहाल है। यहां कण-कण में भगवान राम बसे हुए है। भगवान राम ने वनवास का बहुत सा समय यहां व्यतीत किए हैं। छत्तीसगढ़ सरकार भगवान राम के वन गमन मार्ग को पर्यटन परिपथ के रूप में विकसित कर रही है ताकि इन स्थलों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति मिल सके। बघेल ने कहा कि चंदखुरी में 15 करोड़ की लागत से सौन्दर्यीकरण का कार्य कराया जाएगा। उन्होंने इस अवसर पर यहां तालाब के बीच से होकर गुजरने वाले पुल की मजबूती के साथ ही यहां परिक्रमा पथ, सर्वसुविधायुक्त धर्मशाला और शौचालय बनाने कहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सौन्दर्यीकरण कार्य का भूमिपूजन हो गया है यहां अगस्त के तीसरे सप्ताह से निर्माण कार्य प्रारंभ हो जाएगा।

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मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर ग्रामीणों की मांग पर मंदिर के पास से बायपास सड़क की स्वीकृति प्रदान करते हुए आवश्यक कार्यवाही के निर्देश दिए। वहीं ग्राम वासियों की सहुलियत को देखते हुए चंदखुरी में राष्ट्रीयकृत बैंक की शाखा खोलने के निर्देश जिला अधिकारियों को दिए है। बघेल ने इस अवसर पर मंदिर परिसर पर बेल और उनकी धर्मपत्नी ने महुआ का पौधा भी रोपा। इसके साथ ही परिसर में आवंला, पीपल, अमरूद और करंज आदि के पौधे भी लगाए गए। मुख्यमंत्री ने इन रौपे गए पौधा पर सेरीखेड़ी महिला समूह द्वारा बांस से बनाए जा रहे ट्री-गार्डो का लगवाया। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर ग्रामीणजनों से गौठान और गोधन न्याय योजना सहित गांव में उपलब्ध अन्य सुविधाओं की चर्चा की। इस अवसर पर नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. शिव कुमार डहरिया, जनपद पंचायत आरंग के अध्यक्ष खिलेश देवांगन, ग्राम पंचायत चंदखुरी की सरपंच मालती धीवर और कौशल्या माता समिति के अध्यक्ष देवेन्द्र वर्मा और ग्रामीणजन उपस्थित थे।

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गौरतलब है कि त्रेतायुगीन छत्तीसगढ़ का प्राचीन नाम दक्षिण कोसल एवं दण्डकारण्य के रूप में विख्यात था। प्रभु राम ने उत्तर भारत से छत्तीसगढ़ में प्रवेश के बाद विभिन्न स्थानों पर चौमासा व्यतीत करते हुए दक्षिण भारत में प्रवेश किया गया था। छत्तीसगढ़ में कोरिया जिले की गवाई नदी से होकर सीतामढ़ी हरचौका नामक स्थान से प्रभु राम ने छत्तीसगढ़ में प्रवेश किया था। इस दौरान उन्होंने 75 स्थलों का भ्रमण करते हुए सुकमा जिले के रामाराम से दक्षिण भारत में प्रवेश किया था। उक्त स्थलों में से 51 स्थल ऐसे है, जहां प्रभु राम ने भ्रमण के दौरान रूक कर कुछ समय व्यतीत किया था। प्रथम चरण में इनमें से 9 स्थलों को विकसित किया जाएगा। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा राम वन गमन पथ का, पर्यटन की दृष्टि से विकास की योजनाओं पर कार्य किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य राज्य में आने वाले पर्यटकों, आगन्तुकों के साथ-साथ देश और राज्य के लोगों को भी राम वन गमन मार्ग एवं स्थलों से परिचित कराना एवं इन ऐतिहासिक स्थलों के भ्रमण के दौरान पर्यटकों को उच्च स्तर की सुविधाएं भी उपलब्ध कराना है।

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छत्तीसगढ़ में राम वन गमन पर्यटन परिपथ को विकसित करने के उद्देश्य से प्रथम चरण में 09 स्थलों का चयन किया गया है। इन स्थलों में सीतामढ़ी-हरचौका (कोरिया), रामगढ़ (अम्बिकापुर), शिवरीनारायण (जांजगीर-चांपा), तुरतुरिया (बलौदाबाजार), चंदखुरी (रायपुर), राजिम (गरियाबंद), सिहावा-सप्तऋषि आश्रम (धमतरी), जगदलपुर (बस्तर), रामाराम (सुकमा) शामिल हैं। राम वन गमन पर्यटन परिपथ में प्रस्तावित 09 स्थलों को लेते हुए पर्यटन विभाग द्वारा एक कॉन्सेप्ट प्लान तैयार किया गया है, जिसकी लागत 137.45 करोड़ रूपए है। राम वन गमन पर्यटन परिपथ हेतु राज्य शासन द्वारा गत वर्ष (2019-20) राशि 5 करोड़ रूपए और इस वर्ष (2020-21) 10 करोड़ रूपए का प्रावधान बजट में किया गया है। इस तरह कुल राशि रूपए 15 करोड़ राज्य शासन द्वारा स्वीकृति दी गई है।