दिल्ली की ये शानदार जीत सिर्फ आम आदमी पार्टी की नहीं है…बल्कि ये जीत तो दिल्ली के उन 60 फीसदी वोटर्स की है जिन्होंने “आप” को दूसरी बार सरकार चलाने की बड़ी जिम्मेदारी दी…हालांकि इस धमाकेदार जीत के मायने क्या हैं ये केजरीवाल बेहतर जानते हैं…लेकिन दिल्ली में शायद पहली बार ऐसा हुआ होगा जब ईमानदार काम करने के बावजूद किसी पार्टी को ऐड़ी चोटी का ज़ोर लगाना पड़ा होगा…वो भी उस पार्टी को जिसे खुद दिल्ली के वोटर्स ने एकतरफा मोहब्बत देकर खड़ा किया है…अन्ना हजारे के आंदोलन के एक साधारण कद काठी वाले किरदार को दिल्ली का हीरो तक बनाया है…लगातार तीसरी बार दिल्ली की कमान दी है…शायद दिल्ली वालों को उस IRS अफसर पर भरोसा रहा होगा… जिसने साल 2013,15 में दिल्ली और देश को बदलने का दावा किया था…देश तो नहीं बदला पर दिल्ली जरूर बदल गयी…हालांकि इस बीच केजरीवाल को पूर्वांचल के 40 लाख वोटर्स का जबरदस्त साथ मिला…भले ही पूर्वांचल की औरतों ने प्रदूषित यमुना में सबसे बड़ा छठ पर्व मनाया… बहरहाल सियासत के उस चरित्र की भी चर्चा जरूरी है…जिसने आम आदमी सचमुच आम आदमी की पार्टी को सुशासन देने के बावजूद इतनी मेहनत करने पर मजबूर कर दिया…
दरअसल ऐसा इसलिए भी हुआ क्योंकि इस वक्त हिंदुस्तान से सेक्युलर हवा ने मुंह जो मोड़ लिया है…दिल्ली चुनावों से सेक्युलर पार्टी होने का दावा करने वाली कांग्रेस गायब है…हिंदुस्तान के सबसे बड़े सेक्युलर नेता राहुल गांधी ने 4 रैलियां और 7 सभाएं की हैं…जबकि मोदी और शाह ने अकेले मिलकर केजरीवाल के खिलाफ 40 रैलियां और 67 सभाएं की हैं…
ऐसे में आम आदमी पार्टी की टीम जो हरा केसरिया कुर्ता पायजामा और नेहरू जैकेट जो नहीं पहनती बल्कि कॉमन मैन जैसे पेंट शर्ट,स्वेटर जैकेट पहनती है…उस शानदार टीम को पूरी ताकत क्या NRC, CAA के जरिये राष्ट्रवाद का झंडा गाड़ने का दावा करने वाली दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी और उसके 2 नेताओं से मुकाबला करने में झोंकनी पड़ी…अगर ये बात है तो बिल्कुल सही है…असल में वोटिंग के ठीक 10 दिन पहले दिल्ली में शाहीन बाग,आतंकवाद,पाकिस्तान,बजरंगबली,हनुमान चालीसा के जरिये माहौल बनाने की कोशिश हुई…तमाम बयानबाजियों के बीच वोटर्स के जहन में भी शायद यही उलझन थी…कि वोट आखिर किसको…देश जोड़ने/तोड़ने की बात करने वालों को या फिर जो सिर्फ बिजली,पानी,सड़क,पब्लिक ट्रांसपोर्ट जैसे ज़मीनी मुद्दों की बात करता हो उसको…
हालांकि नतीजे भी यही चीख चीख कर कह रहे हैं कि अब कम से कम दिल्ली में तो राइट लेफ्ट वाली पॉलिटिक्स नहीं चलेगी…असल मे केजरीवाल और आम आदमी पार्टी ने दिल्ली सिर्फ और सिर्फ अपने वादों और दावों के दम पर ही जीती है…कोई कुछ भी कहे लेकिन केजरीवाल ने साफ कर दिया है कि देश मे अब सिर्फ काम बोलेगा…काम पर ही वोट पड़ेंगे…जीत भी उन्हीं की होगी जिनमें देश/राज्य की बेहतरी का विज़न होगा… कोई सियासी दल भले ही धर्म के आधार पर,क्षेत्र के आधार पर,जाति के आधार पर ही क्यों न वोट बांटने की कोशिश करे…फिर भी जीतेगा वही जिसने गरीब,मज़लूम,मेहनतकश और संघर्ष करने वाले के दिल में जगह बनाई हो…उम्मीद है दिल्ली के वोटर्स के मन की बात देश के दूसरे हिस्सों में भी पहुंचेगी…देश की सीरत,सूरत और तस्वीर मुकम्मल हिंदुस्तान के तौर पर नज़र आएगी….
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Naveen Singh
Senior Journalist
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