विरोध के नाम पर कहीं भी नहीं बैठा जा सकता, SC ने शाहीन बाग फैसले पर दोबारा सुनवाई से इनकार कर दिया बयान | Can not sit anywhere in the name of protest

विरोध के नाम पर कहीं भी नहीं बैठा जा सकता, SC ने शाहीन बाग फैसले पर दोबारा सुनवाई से इनकार कर दिया बयान

विरोध के नाम पर कहीं भी नहीं बैठा जा सकता, SC ने शाहीन बाग फैसले पर दोबारा सुनवाई से इनकार कर दिया बयान

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:11 PM IST, Published Date : February 13, 2021/9:36 am IST

नई दिल्ली। देश के उच्चतम न्यायालय ने शाहीन बाग फैसले पर दोबारा सुनवाई से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक विरोध प्रदर्शन के नाम पर सार्वजनिक सड़क को अनिश्चितकाल तक के लिए नहीं रोका जा सकता है। शाहीन बाग विरोध प्रदर्शन मामले में दिए फैसले पर दोबारा विचार की मांग खारिज करते हुए कोर्ट ने यह टिप्पणी की है।

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कुछ याचिककत्ताओं ने किसानों के प्रदर्शन को लेकर सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा स्टैंड को आधार बनाते हुए शाहीन बाग मामले को भी नए सिरे से देखे जाने की मांग की थी। लेकिन कोर्ट ने इससे मना कर दिया। पिछले साल 7 अक्टूबर को अमित साहनी बनाम दिल्ली पुलिस कमिश्नर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था।

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इस फैसले में कोर्ट ने कहा था कि शाहीन बाग में CAA विरोधी प्रदर्शन के लिए जिस तरह से लंबे समय के लिए सार्वजनिक सड़क को रोका गया, वह गलत था। विरोध प्रदर्शन के नाम पर सड़क को इस तरह से नहीं बाधित किया जा सकता है। कनीज फातिमा समेत कई लोगों ने इस फैसले पर दोबारा विचार की मांग की थी।

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आपको बता दें दिसंबर 2019 से मार्च 2020 के बीच दिल्ली के शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ करीब 100 दिनों तक लोग सड़क रोक कर बैठे थे। दिल्ली को नोएडा और फरीदाबाद से जोड़ने वाले एक अहम रास्ते को रोक दिए जाने से रोज़ाना लाखों लोगों को परेशानी हो रही थी। दिल्ली की 3 सीमाओं पर किसानों के आंदोलन को भी 70 दिन से ज़्यादा का समय हो चुका है. लेकिन अब तक न तो सरकार ने आंदोलनकारियों को हटाया है, न कोर्ट ने इसका आदेश दिया है।

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17 दिसंबर को दिल्ली की सीमाओं पर जमा किसान आंदोलनकारियों को सड़क से हटाने के मसले पर सुनवाई हुई थी। चीफ जस्टिस एसए बोबड़े की अध्यक्षता वाली बेंच ने इसका आदेश नहीं दिया था। चीफ जस्टिस की बेंच ने आंदोलनकारियों की बड़ी संख्या को देखते हुए आदेश में लिखा था कि फिलहाल आंदोलनकारियों को वहीं रहने दिया जाए। सिर्फ यह सुनिश्चित किया जाए कि विरोध शांतिपूर्ण हो।