जंगल में मवेशी चरा रहा 'देश का भविष्य', घर की तंगी दूर करने सैकड़ों विद्यार्थियों ने छोड़ा स्कूल | Cattle grazing in forest 'future of country' Hundreds of students left school to overcome the problems of home

जंगल में मवेशी चरा रहा ‘देश का भविष्य’, घर की तंगी दूर करने सैकड़ों विद्यार्थियों ने छोड़ा स्कूल

जंगल में मवेशी चरा रहा 'देश का भविष्य', घर की तंगी दूर करने सैकड़ों विद्यार्थियों ने छोड़ा स्कूल

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:25 PM IST, Published Date : August 13, 2020/5:39 am IST

जबलपुर । स्कूलों में बच्चों में शिक्षा के प्रति रुचि जगाने के लिए सरकार हर साल जहां प्रवेश उत्सव मनाती है, तो वहीं लाखों रु पानी की तरह बहाती है, ताकि शिक्षा का स्तर सुधरे और बच्चे बिना किसी रुकावट के पढ़ सकें, लेकिन जबलपुर में इन सबके बीच स्कूल चले हम और सर्व शिक्षा अभियान के तमाम दावे उस समय खोखले साबित हुए जब आर्थिक तंगी और पढ़ाई में मन नहीं लगने से जिले के करीब 200 से ज्यादा छात्र छात्राओं ने स्कूल जाना छोड़ दिया है।

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स्कूल छोड़ने वाले वह विद्यार्थी हैं जो घर में ही रहकर अपने छोटे भाई बहनों को पाल रहे हैं या फिर जंगल में जाकर मवेशी चरा रहे हैं। स्कूल छोड़ने वाले अधिकांश विद्यार्थियों ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों को स्कूल नहीं आने की जो वजह बताई है वह आर्थिक तंगी और माता पिता के काम में हाथ बटाना बताया जा रहा है। जबलपुर जिले में स्कूल छोड़ने वाले बच्चों की बात की जाए तो उनमें सर्वाधिक सिहोरा और पनागर ब्लॉक के बच्चे है। वर्ष 2018-19 और 2019-20 की तुलना की गई तो सरकारी स्कूलों से सबसे ज्यादा बच्चे नदारद मिले, इसको लेकर स्कूल शिक्षा विभाग हरकत में आ गया है।

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शिक्षा विभाग ने पिछले दिनों जिलें की एक सूची तैयार की है, जिसमें 200 से ज्यादा छात्र छात्राओं ने स्कूलों से मुंह मोड़ लिया है, सिहोरा में 77 लड़के तो वही 69 लड़कियां ने स्कूल छोड़ दिया है। वहीं पनागर में 48 लड़के और 51 लड़कियों ने स्कूल जाने से मना कर दिया है। इतनी ज्यादा संख्या में विद्यार्थियों का स्कूल छोड़ने से सर्व शिक्षा अभियान का 14 वर्ष तक स्कूल में छात्रों को रुकने का लक्ष्य पूरा नहीं हो पा रहा है, हालांकि शिक्षा विभाग के अधिकारी इसे मैपिंग न होने की वजह बता रहे हैं।

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इतनी बड़ी संख्या में छात्रों के स्कूल छोड़ने को लेकर शिक्षा विभाग की एक बड़ी असफलता नजर आ रही है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों की माने तो बच्चों की पढ़ाई पर उनके घरों के आर्थिक हालात बोझ न बने, इसके लिए जिले में उनके लिए हॉस्टल की सुविधा मुहैया कराई जा रही है, ताकि बिना अवरोध के बच्चे पढ़ाई कर सकें।

 
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