छत्तीसगढ़ी व्यंजन फरा, चीला, चैसेला का स्वाद ला रहा महिलाओं के जीवन में मिठास, मिला आय का बेहतर जरिया | Chhattisgarhi Dishes Chila Fara and Chausela Changes Life of Ladies

छत्तीसगढ़ी व्यंजन फरा, चीला, चैसेला का स्वाद ला रहा महिलाओं के जीवन में मिठास, मिला आय का बेहतर जरिया

छत्तीसगढ़ी व्यंजन फरा, चीला, चैसेला का स्वाद ला रहा महिलाओं के जीवन में मिठास, मिला आय का बेहतर जरिया

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:52 PM IST, Published Date : July 9, 2020/1:18 pm IST

रायपुर: सेहत के साथ स्वाद से भरे व्यंजन चीला, फरा, चैसेला, बड़ा से अब छत्तीसगढ़ की महिलाओं की दुनिया भी महकाने लगी है। इन छत्तीसगढ़ी व्यंजनों का स्वाद जांजगीर के जिला पंचायत में खुली आयुषी केंटीन चलाने वाली मां महामाया स्व- सहायता समूह की महिलाओं के जीवन में मिठास ला रहा है। घर की तरह का स्वाद और सेहत से भरपूर नाश्ता होने से इनके बनाये व्यंजन अब लोगों की पसंद बनते जा रहे हैं। इससे इन महिलाओं को आय का बेहतर जरिया मिल गया है।

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समूह की अध्यक्ष ललिता गिरी ने बताया कि जिला पंचायत परिसर में चाय-नाश्ता और भोजन का केंटीन चलाने का कार्य मिला तो हमारी की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। जब से यहंा काम शुरू किया है, अच्छी आय हो रही है। वर्तमान में जो भी आय होती है, उसे केंटीन की व्यवस्थाओं में ही लगा रहे हैं। हमारी कोशिश यही रहती है कि ग्राहकों को अच्छी से अच्छी सुविधा दे सकें। अब यह हमारे रोजगार का साधन बन गया है। केंटीन में सुबह चाय, नाश्ता और दोपहर में दाल, चावल, पूड़ी, सब्जी रोटी उपलब्ध होने के साथ ही पार्सल की सुविधा भी दी जा रही है। समूह की सुनीता यादव और भगवती गौतम सहित अन्य सदस्यों ने खुश होते हुए बताया कि 3 जुलाई को केंटीन का उद्घाटन हुआ है। पुरूषों के दबदबे वाले काम को हम महिला समूहों ने मिलकर करने का बीड़ा उठाया है।

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जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी तीर्थराज अग्रवाल कहते हैं कि कोरोना वैश्विक महामारी के समय में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना लोगों को गांव में ही रोजगार उपलब्ध कराने का बड़ा साधन बन रहा है। इसके तहत लोगों को आजीविका संवर्धन गतिविधियों से जोड़कर उनकी आमदनी बढ़ाने का काम किया जा रहा है। इसी क्रम में जिला पंचायत परिसर में मनरेगा के माध्यम से आजीविका संसाधन केन्द्र बनाया गया है। इसके लिए 4 लाख 31 हजार रूपए मनरेगा और 5 हजार रूपए की राशि 14 वें वित्त से स्वीकृत की गई। इससे मनरेगा मजदूरों को काम मिलने के साथ ही महिलाओं के सशक्तिकरण की राह भी खुली है। यहां बने दो हाॅल में से एक में महिला समूह को केंटीन के माध्यम से स्वरोजगार से जोड़ा गया है, वहीं केंटीन के बाजू के हॉल में बिहान मार्ट की तर्ज पर विभिन्न समूहों के उत्पादों के स्टॉल लगाए जाएंगे। यहां आम नागरिक भी समूहों द्वारा तैयार जैविक खाद, अगरबत्ती, साबुन, ऑफिस की फाइलें, सजावटी सामान सहित कई तरह के सामानों की खरीदी कर सकेंगे।

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