सीएम भूपेश बघेल ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर मांगी एथनॉल उत्पादन की अनुमति, कहा- राज्य के आर्थिक संसाधनों पर पड़ता है अनावश्यक बोझ | CM Bhupesh Baghel, in a letter to PM Modi, asked for permission to produce ethanol, saying - unnecessary burden falls on the state's economic resources

सीएम भूपेश बघेल ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर मांगी एथनॉल उत्पादन की अनुमति, कहा- राज्य के आर्थिक संसाधनों पर पड़ता है अनावश्यक बोझ

सीएम भूपेश बघेल ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर मांगी एथनॉल उत्पादन की अनुमति, कहा- राज्य के आर्थिक संसाधनों पर पड़ता है अनावश्यक बोझ

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:02 PM IST, Published Date : December 2, 2020/12:15 pm IST

रायपुर: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर उनसे प्रदेश के सरप्लस धान से एथनॉल उत्पादन के लिए केन्द्र से अनुमति देने का अनुरोध किया है। मुख्यमंत्री ने पत्र में लिखा है कि वर्तमान में भारतीय खाद्य निगम में उपलब्ध सरप्लस चावल से एथनॉल उत्पादन हेतु विक्रय की अनुमति दी गयी है। छत्तीसगढ़ में हर वर्ष किसानों से समर्थन मूल्य पर धान खरीदा जाता है। राज्य की सार्वजनिक वितरण प्रणाली की आवश्यकता और भारतीय खाद्य निगम को चावल देने के पश्चात हर वर्ष 6 लाख मीटरिक टन सरप्लस धान बचता है, जिससे राज्य के आर्थिक संसाधनों पर अनावश्यक बोझ पड़ता है। बघेल ने पत्र में लिखा है कि राज्य की नई औद्योगिक नीति में जैव ईंधन उच्च प्राथमिकता उद्योगों की सूची में शामिल है। जैव ईंधन उद्योगों के लिए विशेष प्रोत्साहन पैकेज घोषित किया गया है। बायो एथनॉल संयंत्र स्थापना हेतु चार निजी निवेशकों के साथ एमओयू भी किया गया है।

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मुख्यमंत्री ने पत्र में लिखा है कि छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति, 2018 एवं उसके लक्ष्य की पूर्ति की दिशा में राज्य में उत्पादित अतिरिक्त धान से बायो-एथनॉल उत्पादन की अनुमति के लिए विगत 18 माह से लगातार प्रयास किए गए हैं। राष्ट्रीय जैव ईंधन समन्वय समिति की 20 अप्रैल 2020 की बैठक में एफ.सी.आई. में उपलब्ध सरप्लस चावल से एथनॉल के उत्पादन हेतु विक्रय की अनुमति प्रदान की गयी है। छत्तीसगढ़ राज्य में खरीफ विपणन वर्ष 2018-19 एवं 2019-20 में समर्थन मूल्य पर खरीदे गए धान की मात्रा केन्द्रीय पूल एवं राज्य पूल में राज्य की सार्वजनिक वितरण प्रणाली में आवश्यक मात्रा एवं केन्द्रीय पूल में भारतीय खाद्य निगम को परिदान किए गए चावल के पश्चात भी अतिशेष रही, जिसके कारण राज्य के आर्थिक संसाधनों पर अनावश्यक बोझ पड़ा।

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बघेल ने पत्र में लिखा है कि बायो-एथनॉल उत्पादन के क्षेत्र में निवेशकों को आकृष्ट करने के लिए राज्य सरकारों की भूमिका महत्वपूर्ण है। छत्तीसगढ़ की नवीन औद्योगिक नीति, 2019-24 के अन्तर्गत उच्च प्राथमिकता उद्योगों की सूची में जैव-ईंधन को शामिल किया गया एवं इस हेतु विशेष प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की गयी। इसके फलस्वरूप माह सितम्बर 2020 में 04 निजी निवेशकों के साथ राज्य में बायो-एथनॉल संयंत्र की स्थापना हेतु समझौता (डव्न्) साझा किया गया, जिससे राज्य में आगामी वर्ष से प्रतिवर्ष 12 करोड़ लीटर से अधिक एथनॉल उत्पादन होगा, जिसमें लगभग 3 लाख 50 हजार टन अतिशेष धान की खपत होगी। इस उत्पादन क्षमता के उपयोग के लिए अतिशेष धान से एथनॉल उत्पादन हेतु केन्द्र शासन की अनुमति आवश्यक है।

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मुख्यमंत्री ने पत्र में लिखा है कि राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति 2018 अन्तर्गत पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री की अध्यक्षता में राष्ट्रीय जैव ईंधन समिति की स्थापना की गयी है, जिसके द्वारा अतिशेष धान से एथनॉल उत्पादन हेतु अनुमति दिए जाने का प्रावधान है। छत्तीसगढ़ राज्य में यदि राज्य औद्योगिक नीति के तहत बायो-एथनॉल जैसे विशेष क्षेत्र में वास्तवित निवेश होता है, तो ऐसे में बायो-एथनॉल उत्पादन की क्षमता वृद्धि से न केवल प्रदेश के सरप्लस धान का निराकरण होगा, बल्कि एफ.सी.आई. से भी सरप्लस चावल के निराकरण की संभावना बनेगी। एफ.सी.आई. द्वारा (क्ब्च्) राज्यों में भंडारित अतिशेष चावल का आबंटन बायो-एथनॉल संयंत्रों को किया जा सकेगा। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री मोदी से अनुरोध किया है कि छत्तीसगढ़ राज्य को समर्थन मूल्य पर उपार्जित एवं राज्य तथा केन्द्र पूल में आवश्यक चावल के प्रदाय पश्चात प्रतिवर्ष अनुमानित अतिशेष 6 लाख मे.टन धान से एथेनाल उत्पादन की अनुमति प्रदान करने के लिए आवश्यक निर्देश पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय को प्रसारित करने का कष्ट करें।

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