JJP के हाथों है हरियाण के सत्ता की मास्टर Key, 'ताऊ' की विरासत का नए वारिस बन सकते हैं दुष्यंत चौटाला | dushyant chautala how jjp nayak become kingmaker in haryana politics

JJP के हाथों है हरियाण के सत्ता की मास्टर Key, ‘ताऊ’ की विरासत का नए वारिस बन सकते हैं दुष्यंत चौटाला

JJP के हाथों है हरियाण के सत्ता की मास्टर Key, 'ताऊ' की विरासत का नए वारिस बन सकते हैं दुष्यंत चौटाला

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:56 PM IST, Published Date : October 24, 2019/10:38 am IST

चंडीगढ़: हरियाणा विधानसभा चुनाव की तस्वीरें लगभग साफ हो गई है। रूझानों के अनुसार इस बार यहां जनता का फैसला त्रिशंकु रहा है। इस लिहाज ऐसा प्रतित हो रहा है कि सत्ता की मास्टर की दुष्यंत चौटाला के हाथ लगी है। कुछ ही महीनों पहले बनी उनकी जननायक जनता पार्टी का चुनाव चिन्ह चाबी निशान पर हरियाणा की जनता ने अपना भरोसा दिखाया है। हरियाणा के कद्दावर सियासी परिवार के वारिस दुष्यंत को सियासत विरासत में मिली है। उनके परदादा और पूर्व उपप्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल ताऊ के नाम से चर्चित थे। चुनाव से पहले दुष्यंत की पार्टी को विपक्षियों ने हल्के में लिया था, लेकिन चंद महीनों में ही दुष्यंत देवीलाल की विरासत के वारिस बनते नजर आ रहे हैं।

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आइए एक नजर डालते हैं दुष्यंत चौटाला के राजनीतिक करियर पर
दुष्यंत चौटाला जेजेपी के अध्यक्ष और संस्थापक हैं। 16वीं लोकसभा में चौटाला ने 16वीं लोकसभा में हिसार क्षेत्र से सांसद चुनकर आए थे। उन्होंने हरियाणा जनहित कांग्रेस के कुलदीप बिश्नोई को भारी मतों से हराया था। इसके बाद दुष्यंत चौटाला का नाम ‘लिम्का बुक ऑफ रेकॉर्ड’ में दर्ज किया गया था।

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दुष्यंत का जन्म 3 अप्रैल 1988 को अजय चौटाला और नैना चौटाला के घर हुआ। दुष्यंत हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला के पोते हैं। इंडियन नेशनल लोकदल से निष्कासित होने के बाद उन्होंने 9 दिसंबर, 2018 को जेजेपी का गठन किया था।

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विधानसभा चुनाव नतीजे 2019

पार्टी का नाम इतनी सीटों पर जमाया कब्जा
BJP 39
Congress 32
JJP 10
INLD 1
Other 8

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हरियाणा के दिग्गज नेता, जिसे राजनीति के क्षेत्र में बच्चा समझ रहे थे वो इस बात को भूल गए थे कि दुष्यंत को राजनीति विरासत में मिली है। उन्होंने चंद महीनों पहले नई पार्टी शुरू कर जनता का विश्वास ​जीता है। इस पार्टी का नाम तो खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हरियाणा में हुई एक रैली के दौरान कर चुके हैं। बात साफ है कि सत्तारूढ़ बीजेपी और कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टियों के बीच जंग में जेजेपी ने खुद का लोहा मनवा लिया है और इस चुनाव से यह भी साफ हो गया है कि प्रदेश की राजनीति में अब जेजेपी के ऊपर चस्पा बच्चा पार्टी का लेबल भी धुल गया है।

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अकेले ही मनवाया लोहा
पिछले साल गोहना की रैली में चौटाला परिवार में फूट उभरकर सामने आई थी। सियासत की पारिवारिक लड़ाई कुछ इस तरह जनता के सामने आई कि आईएनएलडी सुप्रीमो व दुष्यंत चौटाला के दादा ने पार्टी छोड़कर जाने वालों को गद्दार की उपाधि दे डाली। हालांकि दुष्यंत की दादी के निधन के दौरान पूरा परिवार इकट्ठा हुआ था, लेकिन सियासी मतभेद यहां भी दोनों के बीच साफ दिख रहा था।

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महज 11 महीने पहले बनी पार्टी जेजेपी की कमान युवा दुष्यंत चौटाला के हाथों में थी। उनके पीछे पिता व पूर्व सांसद अजय चौटाला और विधायक मां नैना चौटाला और भाई दिग्विजय चौटाला का साथ। हालांकि कुछ समय के लिए आम आदमी पार्टी और बसपा साथ चलने लगे, लेकिन समय के साथ उन्होंने भी जेजेपी को अलविदा कह दिया। आईएनएलडी को अलविदा कहकर आए 4 विधायकों ने जेजेपी और दुष्यंत चौटाला का भरपूर साथ दिया। उसी का नतीजा आज आपके सा​मने है।

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