रायपुर में सपनों के आशियाने पर ग्रहण! कॉलोनाइजर ने दिया धोखा, कई सालों बाद भी सुविधा का इंतजार | Eclipse on dream house in Raipur! Colonizer cheated, waiting for facility even after many years

रायपुर में सपनों के आशियाने पर ग्रहण! कॉलोनाइजर ने दिया धोखा, कई सालों बाद भी सुविधा का इंतजार

रायपुर में सपनों के आशियाने पर ग्रहण! कॉलोनाइजर ने दिया धोखा, कई सालों बाद भी सुविधा का इंतजार

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:33 PM IST, Published Date : July 17, 2021/6:04 pm IST

रायपुर: हर इंसान का सपना का सपना होता है कि उसका अपना एक घर हो। आजकल बिल्डर्स ऐसे लोगों की तलाश में रहते हैं। तरह तरह की लग्जरी सुविधाओं का लालच भी दिया जाता है। नक्शा दिखाकर सपना बेचा जाता है। वक्त के बोझ तले दबा इंसान भरोसा कर घर खरीद भी लेता है, मगर जब उसे वो सब सुविधाएं नहीं मिलती तो खुद को ठगा हुआ महसूस करता है। कुछ ऐसी ही समस्या से जूझ रहे हैं राजधानी रायपुर के लोग।

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राजधानी रायपुर का सड्डू इलाका और यहां राजधानी विहार के नाम से बनी कॉलोनी। राजधानी विहार का मेन गेट और उस लिखा नाम जितना चमकदार है। गेट के अंदर की तस्वीरें उतनी ही धुंधली है। कोलोनाइजर ने लोगों को बड़े-बड़े सपने दिखाए, प्लाट और मकान बेचने के पहले बिल्डर ने नक्शे में बताया कि मकान के सामने 30 फीट चौड़ी सड़क होगी। बच्चों के खेलने के लिए ओपन एरिया होगा,  नाली होगी। मगर कॉलोनी के हालात और लोगों के मुरझाए चेहरे हकीकत बयां कर रहे हैं। लोग खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। 30 फीट चौड़ी सड़क की जगह सिर्फ 10 फीट चौड़ी सड़क बनाई।  बाकि बची जमीन पर भी फ्लैट तान दिए। लोगों को अब लग रहा हो कि उन्होंने बड़ी गलती कर दी।

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इतना ही नहीं, IBC24 की टीम ने जब निगम और रेरा जैसे सरकारी विभाग के दस्तावेज खंगाले तो कई बड़े खुलासे हुए। कोलोनाइजर को गरीबों के मकानों के लिए 15 प्रतिशत जमीन देनी होती है, लेकिन राजधानी विहार में इसमें भी खेल किया गया। सीमांकन के समय कुछ सरकारी और नाले की जमीन को प्राइवेट बता कर घेराबंदी कर दी।

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जब कुछ साल बाद जब निगम ने कोलोनाइजर से EWS मकानों के लिए जमीन मांगी, तो उसने सरकारी जमीन को खुद की बता कर सौंप दी। निगम अधिकारियों ने भी भरोसा कर 4 करोड़ 85 लाख खर्च कर गरीबों के लिए मकान बनवा दिए। बात यहीं खत्म नहीं होती, पड़ताल में पता चला की राजधानी विहार फेस 1 के लिए भी गरीबों के लिए जो जमीन छोड़ी गई थी उसमें भी 3 बंगले तान दिए। मामला उजागर होने के बाद नोटिस जारी कर दिया गया है, लेकिन बिल्डरों और कालोनाइजर पर रेरा जैसी नियंत्रक एंजेसियों के आदेशों का कोई असर नहीं हो रहा है।

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निगम के अधिकारी भी 5 करोड़ गलत जगह खर्च कर फंसते दिखाई दे रहे हैं। सवाल खड़े हो रहे हैं कि निगम ने गरीबों का घरौंदा बनाने से पहले जमीन की जांच क्यों नहीं कि? तो वहीं स्थानीय लोगों ने अब कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। जीवन भर की कमाई लगाकर धोखा खाने वाले परिवारों को अब इंसाफ का इंतजार है।

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