नई दिल्ली। बुधवार को भारतीय समयानुसार 3 बजकर 26 मिनट पर यह उल्कापिंड गुजरा और इससे पृथ्वी के किसी हिस्से को कोई नुकसान नहीं हुआ। दक्षिण अफ्रीका की ऑब्जर्वेटरी की ओर से इस खगोलीय घटना की पुष्टि भी की गई है। ऑब्जर्वेटरी की ओर से किए गए ट्वीट में बताया गया है कि यह विनाशकारी उल्कापिंडों में से एक है। इसमें एक वीडियो भी पोस्ट की गई है।
LIVE NOW: #NASAScience Live answers all your questions about the asteroid close-approach on April 29! Although we are completely safe from Asteroid 1998 OR2, this is your opportunity to learn about Planetary Defense. Watch: https://t.co/9qmSwc2jJr https://t.co/9qmSwc2jJr
— NASA (@NASA) April 27, 2020
पढ़ें- मदद के बाद अमेरिका के बदले मिजाज, ट्विटर पर व्हाइट हाउस ने मोदी को …
पहले भी इस बात की उम्मीद जताई गई थी कि यह बिना पृथ्वी से टकराए निकल जाएगा। अब इस तरह का अगला संयोग 2079 में होगा। प्यूर्टो रिको के ऑब्जर्वेटरी में 8 अप्रैल से इस उल्कापिंड की मॉनिटरिंग की जा रही है, इसके अनुसार इसकी रफ्तार 19,461 मील (31,320 km/h) प्रति घंटे की थी।
पढ़ें- पाक में कोरोना का प्रकोप: डॉक्टर के बाद अब 6 इंस्पेक्टर समेत 50 स…
इस उल्कापिंड की खोज एस्टेरॉयड ट्रैकिंग प्रोग्राम के जरिए की गई थी। चपटी कक्षा वाले इस उल्कापिंड की खोज 1998 में हो गई थी। तभी से इस पर शोध जारी है। सूर्य की परिक्रमा करने में इसे 1344 दिन का समय लग जाता है। नैनीताल के आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान एरीज के खगोल वैज्ञानिक डॉ. शशिभूषण पांडे ने पहले ही बता दिया था कि इस आकाशीय घटना से डरने की कोई बात नहीं है क्योंकि यह उल्कापिंड पृथ्वी से 60 लाख किलोमीटर की दूरी से गुजरेगा।
पढ़ें-फ्यूल ट्रक में बम लगाकर किया विस्फोट, 36 की मौत, 27 अन्य घायल
वर्ष 2197 में यह उल्कापिंड फिर से धरती के करीब से गुजरेगा उस वक्त फासला कम हो जाएगा ऐसा वैज्ञानिकों का है। बता दें कि ऐसे उल्कापिंड अक्सर धरती के करीब से होकर गुजरते हैं। सौर मंडल में लाखों करोड़ों की संख्या में उल्कापिंड घूम रहे हैं जो एस्टेरॉयड बेल्ट के नाम से जाना जाता है।