संसदीय सचिवों की नियुक्ति को लेकर टली सुनवाई | Hearing on appointment of parliamentary secretaries

संसदीय सचिवों की नियुक्ति को लेकर टली सुनवाई

संसदीय सचिवों की नियुक्ति को लेकर टली सुनवाई

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:37 PM IST, Published Date : November 7, 2017/9:59 am IST

छत्तीसगढ़ के 11 संसदीय सचिव की नियुक्ति को लेकर हाईकोर्ट में आज भी सुनवाई टल  गयी है। इससे पहले 31 अक्टूबर को भी संसदीय सचिव मामले में सुनवाई टल गयी थी. बिलासपुर हाइकोर्ट ने कहा कि संसदीय सचिव की नियुक्ति जब राज्यपाल ने नहीं की तो उनका संवैधानिक दायरा नहीं बनता। उनकी नियुक्ति अगर मंत्री पद पर राज्यपाल ने नहीं की है तो उन्हें काम न करने दिया जाए। यह रोक तब तक लागू रहेगी जब तक कि संसदीय सचिवों की नियुक्ति पर अंतिम फैसला न हो जाए। इस आदेश के बाद संसदीय सचिवों के तमाम अधिकार खत्म हो गए हैं। यहां तक कि संसदीय सचिवों के स्वेच्छानुदान पर भी रोक लग गई है.
 सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही संसदीय सचिवों के मामले में अहम फैसला दिया था. संसदीय सचिवों की नियुक्ति की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जे. चेल्लेमेश्वर, जस्टिस आरके अग्रवाल व जस्टिस अभय मनोहर सप्रे की बेंच ने कहा कि भारतीय संविधान में संसदीय नियुक्ति का कोई प्रावधान नहीं है. लिहाजा, यह असंवैधानिक है. सुप्रीम कोर्ट ने संसदीय सचिवों की नियुक्ति पर कड़ी टिप्पणियां की है। असम में संसदीय सचिवों की नियुक्ति और उन्हें अतिरिक्त लाभ देने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई गई थी.

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शिवशंकर पैंकरा, लखन देवांगन,तोखन साहू, राजू सिंह क्षत्री, अंबेश जांगडे,रूप कुमारी चाैधरी, गोवर्धन सिंह मांझी, लाभचंद बाफना,मोती राम चंद्रवंशी, चंपादेवी पावले, सुनीती सत्यानंद राठिया.
राज्य सरकार का कहना है कि संसदीय सचिव लाभ का पद नहीं है। जबकि याचिकाकर्ताओं का कहना है कि संसदीय सचिवों को राज्य मंत्री का दर्जा हासिल है। इसके लिए राज्य सरकार की ओर से जारी आदेशों के बतौर सबूत याचिकाकर्ता मोहम्मद अकबर ने पेश किया है।

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