खबर जरा हटके : 'यह जानते हुए कि शादी में बाधाएं आएंगी, सहमति से शारीरिक संबंध बनाना रेप नही' — सुप्रीम कोर्ट | 'Knowing that there will be obstacles in marriage, sexual relations with consent will not be raped' - Supreme Court

खबर जरा हटके : ‘यह जानते हुए कि शादी में बाधाएं आएंगी, सहमति से शारीरिक संबंध बनाना रेप नही’ — सुप्रीम कोर्ट

खबर जरा हटके : 'यह जानते हुए कि शादी में बाधाएं आएंगी, सहमति से शारीरिक संबंध बनाना रेप नही' — सुप्रीम कोर्ट

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:41 PM IST, Published Date : August 22, 2019/7:51 am IST

नई दिल्‍ली। सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए कहा​ है कि अगर महिला यह जानते हुए कि शादी में अड़चनें आएंगी शारीरिक संबंध बनाती है तो यह रेप नही है। कोर्ट ने कहा कि महिला अगर ये जानती है कि भविष्‍य में उस व्यक्ति से उसकी शादी नहीं हो सकती जिससे वो रिलेशन में है और फिर भी लंबे समय तक शारीरिक संबंधों में रहती है, तो ऐसे में महिला पुरूष पर शादी का झूठा वादा कर रेप का आरोप नहीं लगा सकती है।

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सुप्रीम कोर्ट ने इसी आधार पर जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदिरा बनर्जी ने सेल्स टैक्स में असिस्टेंट कमिश्नर महिला की याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने फैसले में कहा, दोंनों 8 साल से अधिक वक्त तक रिलेशनशिप में थे। दोनों इस दौरान कई मौकों पर एक-दूसरे के आवास पर भी रुके जिससे स्पष्ट है कि यह रिश्ता आपसी सहमति से बना था।’

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उल्‍लेखनीय है महिला ने आरोप लगाया था कि 2008 में शादी का वादा कर सीआरपीएफ अधिकारी ने जबरन शारीरिक संबंध बनाए। 2016 तक दोनों के बीच संबंध रहा और इस दौरान कई-कई दिनों तक दोनों एक-दूसरे के आवास पर भी रुके थे। शिकायतकर्ता का कहना है, ‘2014 में अधिकारी ने महिला की जाति के आधार पर शादी करने में असमर्थता जताई। इसके बाद भी दोनों के बीच 2016 तक संबंध रहे।” 2016 में महिला ने अधिकारी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई क्योंकि उन्हें उसकी किसी अन्य महिला के साथ सगाई के बारे में सूचना मिली थी।

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इसके अलावा कोर्ट ने कहा, “गलत मंशा से किए गए झूठे वादे और ऐसा वादा जो भरोसे के साथ दिया गया पर पूरा ना किया जा सका हो में अंतर है।” बेंच ने आगे कहा, “वादे को पूरा ना कर सकने को झूठा वादा नहीं कहा जा सकता है। झूठा वादा वो होता है, जिनमें वादे के समय वादा करने वाले की मंशा गलत होती है कि वो आगे इस वादे को पूरा नहीं करेगा।”

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कोर्ट ने एफआईआर का देखने करने के बाद कहा कि 2008 में किया गया शादी का वादा 2016 में पूरा नहीं किया जा सका। सिर्फ इस आधार पर यह नहीं कहा जा सकता है कि शादी का वादा महज शारीरिक संबंध बनाने के लिए था। कोर्ट ने यह भी कहा कि महिला शिकायतकर्ता को भी इस बात का पता था कि शादी में कई किस्म की अड़चनें हैं। फिर भी उसने ऐसा किया।

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