न सिर्फ एक पत्रकार बल्कि पूरी संस्था थे 'ललित सुरजन', जानिए उनकी जिंदगी से जुड़ी कुछ अहम बातें | Lalit Surjan was not only a journalist but the entire organization, know some important things related to his life

न सिर्फ एक पत्रकार बल्कि पूरी संस्था थे ‘ललित सुरजन’, जानिए उनकी जिंदगी से जुड़ी कुछ अहम बातें

न सिर्फ एक पत्रकार बल्कि पूरी संस्था थे 'ललित सुरजन', जानिए उनकी जिंदगी से जुड़ी कुछ अहम बातें

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:01 PM IST, Published Date : December 3, 2020/1:04 pm IST

रायपुर: देशबंधु समाचार समूह के प्रधान संपादक व वरिष्ठ पत्रकार ललित सुरजन का बुधवार रात करीब 8 बजे निधन हो गया। आज राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। बता दें कि 74 वर्षीय ललित सुरजन बीते पिछले दिनों से कैंसर की बीमारी से जूझ रहे थे। सोमवार को अचानक ब्रेन स्ट्रोक होने के बाद उन्हें धर्मशीला अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उपचार के दौरान उनका निधन हो गया। ललित सुरजन देशबन्धु अखबार के संस्थापक स्व मायाराम सुरजन के बड़े बेटे थे।

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ललित सुरजन देशबंधु पत्र समूह के प्रधान संपादक थे। वे 1961 से एक पत्रकार के रूप में कार्यरत थे। पत्रकारिता के अ​नुभव की बात करें तो उनका पचास वर्षों से लंबा पत्रकारिता का अनुभव है। वे एक जाने माने कवि व लेखक भी थे। ललित सुरजन स्वयं को एक सामाजिक कार्यकर्ता मानते थे और साहित्य, शिक्षा, पर्यावरण, सांप्रदायिक सदभाव व विश्व शांति से सम्बंधित विविध कार्यों में उनकी गहरी संलग्नता थी।

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उन्होंने 1961 में देशबन्धु में एक जूनियर पत्रकार के रूप में काम शुरू किया। उनको साफ़ बता दिया गया था कि अख़बार के संस्थापक के बेटे होने का कोई विशेष लाभ नहीं होगा, अपना रास्ता खुद तय करना होगा। अपना सम्मान खुद को कमाना होगा। देशबंधु केवल एक अवसर है, उससे ज्यादा कुछ नहीं। पिता की संस्था में ही उन्हें एक रिपोर्टर के तौर पर काम करना पड़ा, रिपोर्टिंग करते हुए भी उन्होंने कई ऐसे काम किए जो उनकी जिंदगी में अमिट छाप छोड़ते हैं। पिछले 50 साल से अधिक समय तक मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की हर राजनीतिक गतिविधि को उन्होंने एक पत्रकार के रूप में देखा। उन्होंने अपने स्वर्गीय पिता जी को आदर्श माना और कभी भी राजनीतिक नेताओं के सामने सर नहीं झुकाया।

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एक-दो नहीं दर्जनों सामाजिक, सांस्कृतिक संस्थाओं से सक्रिय जुड़ाव, लगभग आधी से ज्यादा दुनिया की यात्रा और हर यात्रा से लौटकर उसके अनुभवों को पाठकों के साथ साझा करना जैसे सुरजन की एक आदत थी। हजारों पुस्तकों, पत्र-पत्रिकाओं का विशद अध्ययन, 17 वर्षों से लगातार साप्ताहिक लेख लिखना, जिनके विषयों में अनूठी विविधता होती है, कभी समकालीन राजनीति, कभी वैश्विक हलचल, कभी सिनेमा या कला या संस्कृति, तो कभी व्यक्ति चित्र और कभी यात्रा वृत्तांत या किसी नई पुस्तक की चर्चा, जीवन के कई पहलुओं, कई विषयों, कई क्षेत्रों में गहरी रूचि, ज्ञान और अनुभवों का ऐसा संगम अनूठा ही होता है और ऐसी शख्सियत के लिए यही कहा जा सकता है कि वे व्यक्ति नहीं पूरी संस्था थे।

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