मोस्ट वांटेड हिड़मा...लाल आतंक का पोस्टर ब्वॉय! स्कूल छोड़ नक्सलियों की पाठशाला में करने लगा था गुरिल्ला युद्ध की पढ़ाई | Most Wanted Hidma ... Poster Boy of Red Terror! Leaving school, he started to study guerrilla warfare in the school of Naxalites

मोस्ट वांटेड हिड़मा…लाल आतंक का पोस्टर ब्वॉय! स्कूल छोड़ नक्सलियों की पाठशाला में करने लगा था गुरिल्ला युद्ध की पढ़ाई

मोस्ट वांटेड हिड़मा...लाल आतंक का पोस्टर ब्वॉय! स्कूल छोड़ नक्सलियों की पाठशाला में करने लगा था गुरिल्ला युद्ध की पढ़ाई

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:49 PM IST, Published Date : April 12, 2021/4:45 pm IST

रायपुर: बीते दिनों तर्रेम मुठभेड़ में 22 जवानों की शहादत के बाद एक बार फिर केंद्र और राज्य सरकारों ने हाथ मिलाकर, साथ मिलकर नक्सलियों के खात्मे का दावा किया। खबर है कि जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ जारी ‘ऑपरेशन ऑल आउट’ की तर्ज पर ही, अब नक्सलियों का भी सफाया किया जाएगा। इसके लिए सुरक्षा एजेंसियों ने टॉप 50 नक्सल कमांडर्स की लिस्ट भी तैयार कर ली हैं, जिसमें छत्तीसगढ़ समेत झारखंड, ओडिशा और आंध्र प्रदेश में सक्रिय नक्सल कमांडर्स के नाम हैं। दावा है इस लिस्ट में 10 बेहद खतरनाक महिला नक्सल कमांडर्स तक के नाम शुमार हैं। टॉप नक्सल कमांडर्स को मोस्ट वांटेड लिस्ट में हिड़मा का भी नाम है, वही हिड़मा जो बीजापुर में CRPF और DRG के खिलाफ हमले में शामिल रहा है। सवाल ये उठता है क्या रणनीति होगी इसके लिए, कितनी कारगर होगी?

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‘हिड़मा’ जी हां ये नाम बस्तर में एक ऐसे नक्सल कमांडर को जो कि बीजापुर के तर्रेम से लेकर ताड़मेटला हमले का मास्टर माइंड बताया जाता है। हिड़मा से पहले आपको पूवर्ती गांव के बारे में बताते हैं, जिसे नक्सलियों की नर्सरी भी कहा जता है। सुकमा औऱ बीजापुर की सरहद पर ये गांव बसा है। 90 के शुरुआती दशक में ही दक्षिण बस्तर नक्सलियों का मजबूत गढ़ बनने लगा था और यहीं उस वक्त के नक्सल कमांडर बद्रन्ना ने माडवी हिड़मा की पहचान की, तब तो वो सरकारी स्कूल में पढ़ रहा था लेकिन जल्द ही वो नक्सलियों की पाठशाला में युद्ध की पढ़ाई करने लगा खासकर गुरिल्ला युद्ध की।

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जल्द ही हिड़मा नक्सलियों के बाल संघम से सीधे नक्सलियों के मिलिट्री सिस्टम में प्लाटून का हिस्सा बना, इसके बाद तो हिड़मा नहीं रुका। दक्षिण बस्तर से महाराष्ट्र की सीमा तक उसने कई वारदातों को अंजाम दिया।

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अब जिन 50 मोस्ट वॉटेंड नक्सलियों की लिस्ट बनाई गई है, उसमें मिलिट्री आर्गेनाइजेशन देश की पहली बटालियन का गठन हिड़मा के नेतृत्व में किया। हिड़मा लगातार मजबूत हो रहा था और सरकारें उसे गंभीरता से नहीं ले रहीं थीं। हिड़मा के साथ 35 से 40 युवाओं की टीम हमेशा साथ रहती है जो उसे सुरक्षा देती है। यही वजह है कि वो आज तक सुरक्षाबलों के हाथ नहीं लगा। पुलिस जब भी उसके मांद में घुसती है, उसे मुंह की खानी पड़ती है। हिड़मा पर 40 लाख रुपए का ईनाम है… लेकिन वो अब भी बस्तर के जंगलों में खुलेआम घूम रहा है।

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हालांकि जब भी मुठभेड़ होती है नक्सलियों के कई लीड़र मारे जाते हैं, लेकिन हिड़मा अभी भी जवानों के लिए पहेली बना हुआ है। हिड़मा धीरे-धीरे अपनी ताकत बढ़ाता जा रहा है। ऐसे में सुरक्षाबलों और सरकारों को कोई बड़ा एक्शन लेने की जरूरत है, ताकि हिड़मा के आतंक का खात्मा किया जा सके।

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