MP KI Baat: छापे की सियासी रिपोर्ट! क्या बीजेपी और कांग्रेस नेताओं के नाम आने के कारण सरकार कार्रवाई का फैसला नहीं ले पा रही? | MP KI Baat: Political report of raid! Did the government not take the decision to take action due to the names of BJP and Congress leaders?

MP KI Baat: छापे की सियासी रिपोर्ट! क्या बीजेपी और कांग्रेस नेताओं के नाम आने के कारण सरकार कार्रवाई का फैसला नहीं ले पा रही?

MP KI Baat: छापे की सियासी रिपोर्ट! क्या बीजेपी और कांग्रेस नेताओं के नाम आने के कारण सरकार कार्रवाई का फैसला नहीं ले पा रही?

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:41 PM IST, Published Date : December 21, 2020/4:52 pm IST

भोपाल: लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान मध्यप्रदेश में आयकर विभाग के छापों पर CBDT की रिपोर्ट और फिर निर्वाचन आयोग के कार्रवाई पर जुबानी जंग शुरू हो गई है। जांच रिपोर्ट में तत्कालीन कांग्रेस सरकार के 64 विधायकों के नाम हैं, जिनमें 13 विधायक अब बीजेपी का दामन थाम चुके हैं। मामले में सत्ता पक्ष जहां कानून के तहत कार्रवाई की बात कर रहा है, तो वहीं विपक्ष चाहता है कि पहले कार्रवाई उन पर जो कांग्रेस छोड़कर बीजेपी सरकार में मंत्री बने बैठे हैं।

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लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान मध्यप्रदेश में कालेधन के लेन-देन के खुलासे को लेकर सीएम शिवराज सिंह चौहान ने साफ कर दिया है कि मामले में कानून अपना काम करेगा। लेकिन चुनाव आयोग के कार्यवाही के पत्र को लेकर सूबे में सियासत तेज हो गई है। दरअसल सीबीडीटी की रिपोर्ट में सिंधिया समर्थक उन नेताओं के नाम भी सामने आ रहे हैं जो पहले कांग्रेस में थे, अब बीजेपी में हैं। कुछ नाम तो ऐसे हैं जो अभी शिवराज सरकार में मंत्री हैं। जैसे बिसाहूलाल सिंह, राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव और प्रद्युम्न सिंह तोमर। वहीं चुनाव हारने वाले रणवीर जाटव और एंदल सिंह कंसाना का नाम भी लिस्ट में है। सीबीडीटी की रिपोर्ट आने में तत्कालीन कांग्रेस सरकार के मंत्री सहित 64 विधायकों के नाम हैं, इनमें से 13 विधायक अब बीजेपी का दामन थाम चुके हैं। हालांकि सत्ता पक्षा का दावा है कि कार्रवाई कानून के तहत ही होगी।

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सीबीडीटी की जांच रिपोर्ट में कई सनसनीखेज खुलासे हुए हैं, जिससे कई सफेदपोश चेहरों की सच्चाई सामने आ रही है आयकर विभाग की रिपोर्ट के आधार पर केन्द्रीय चुनाव आयोग की रिपोर्ट में चुनाव आयोग को न केवल कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं, बल्कि ईओडब्ल्यू में प्रकरण दर्ज कराने को भी कहा गया है। इस रिपोर्ट में गैर कानूनी रुप से धन देने वाले सरकारी महकमों के साथ ही उन निजी कंपनियों के नाम भी बताए गए हैं, जिनसे ये वसूली की गई है। रिपोर्ट में जिन सरकारी महकमों से पैसा मिलने का जिक्र किया गया है, उन महकमों के तत्कालीन विभाग प्रमुखों सहित कई अन्य अफसर भी इस जांच के दायरे में आना तय हैं। दूसरी ओर सीबीडीटी की रिपोर्ट पर कांग्रेस नेताओं के नाम सामने आने पर विपक्ष ने बीजेपी और केंद्रीय चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए कहा कि कांग्रेस नेता हर तरह की जांच के लिए तैयार हैं।

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कुल मिलाकर CBDT की रिपोर्ट और फिर निर्वाचन आयोग के कार्रवाई के निर्देश पर मध्यप्रदेश में बयानबाजी का दौर जारी है। अब देखना है कि रिपोर्ट के आधार पर सरकार आरोपियों पर एफआईआर कब दर्ज कराती है। सवाल ये भी कि क्या बीजेपी और कांग्रेस नेताओं के नाम आने के कारण सरकार कार्रवाई का फैसला नहीं ले पार रही?

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