नक्सलियों के हाथ विदेशी हथियार, माओवादियों का आतंकी कनेक्शन ! | Naxalite hand overseas arms, Maoists terror links!

नक्सलियों के हाथ विदेशी हथियार, माओवादियों का आतंकी कनेक्शन !

नक्सलियों के हाथ विदेशी हथियार, माओवादियों का आतंकी कनेक्शन !

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:48 PM IST, Published Date : February 3, 2019/11:07 am IST

रायपुर। हाल ही में हमने नक्सलियों के पाकिस्तान कनेक्शन का खुलासा किया था, उसी कड़ी में एक और बड़ा खुलासा हम करने जा रहे हैं, जिसके मुताबिक नक्सलियों के पूर्वोत्तर के आतंकी संगठनों से संपर्क के सबूत मिलें हैं। हालांकि ये अभी शुरूआती स्तर पर हैं, इसकी पुख्ता जांच के लिए बस्तर में नक्सलियों से मुठभेड़ में मिले हथियारों की फॉरेंसिक जांच की जा रही है।

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बिहार के राजौली में नक्सलियों के पास से पाकिस्तानी मेड गोलियां मिली थीं, इसके बाद से पाकिस्तान से माओवादियों तक पहुंच रही बंदूक और गोलियों को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं शुरू हो गईं। बस्तर पुलिस ने भी इस तरह की राइफल बरामद की थी।

असॉल्ट राइफल जो कि भारत में इस्तेमाल ही नहीं होती, अप्रैल माह में पुलिस ने सुकमा के पुट्ठे पाड़ तारीगुडेम में हुई मुठभेड़ में मारे गए नक्सलियों के पास से ये बंदूक बरामद की थी। ये अत्याधुनिक राइफल गिने चुने देश इस्तेमाल करते हैं और इनमें पाकिस्तान शामिल हैं। और माना जा रहा है कि उल्फा के नेटवर्क के जरिए ये बंदूक पूर्वोत्तर होते हुए बस्तर पहुंची। हालांकि अधिकारी खुलकर इसकी पुष्टि नहीं कर रहे। दरअसल G3 असॉल्ट राइफल जर्मनी की हथियार बनाने वाली कंपनी हिटलर एंड कोच में बनाई गयी है। ये कंपनी पाकिस्तान में 3 फैक्ट्रियां चला रही है और पुलिस को इस बात की पुख्ता जानकारी है कि उल्फा सहित पूर्वोत्तर के कई आतंकवादी संगठनों के साथ माओवादियों की सांठगांठ है।

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ये बंदूक देखने में तो SLR की तरह दिखती है, लेकिन एके-47 की तरह उपयोगी हथियार है। भारत में के सुरक्षाबलों में इस तरह के हथियार को बिल्कुल भी इस्तेमाल नहीं होता है, बल्कि देश और दुनिया में भी सीमित देश इसका इस्तेमाल करते हैं, जिनमें पाकिस्तान शामिल है। इस राइफल की खासियत ये है कि किसी भी दूसरी राइफल की गोली इसमें लग जाती है और 7 सेकंड में ये 500 राउंड फायर करने की क्षमता रखती है। ऐसे और भी कई हथियार हैं जो माओवादियों के पास होने का अनुमान है। हालांकि मुठभेड़ के दौरान जब्त इस बंदूक से ही अंदाजा लगाया जा रहा है कि ऐसे कई हथियार और गोलियां पाकिस्तान के रास्ते बस्तर तक पहुंच रही हैं।

 
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