दुर्ग। नगरीय निकाय चुनाव करीब आते ही नए नए मुद्दों पर राजनीति गरमाने लगी है, वहीं प्रदेश में अपना अस्तित्व तलाश रही छत्तीसगढ़ स्वाभिमान मंच जिसके संस्थापक पूर्व सांसद स्व ताराचंद साहू रहे हैं, उनकी पार्टी ने अब फिर से छत्तीसगढ़ियावाद को मुद्दा बना लिया है, जिसे लेकर अब मंच के कार्यकर्ता पदाधिकारी सडकों पर भी उतरकर अपनी मौजूदगी दर्ज करा रहे हैं, मंच ने अब नया मुद्दा ढूंढ निकाला है जहां सरकार के द्वारा आबंटित किया जा रहा सरकारी जमीन पर कब्जेधारियों का पट्टा योजना है जिसमे अब मंच ने गैर छत्तीसगढ़िया को पट्टा आबंटन किये जाने का विरोध शुरू कर दिया है।
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विरोध करते हुए मंच ने कलेक्टर को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौपते हुए इस पर अमल करने की मांग की है। छत्तीसगढ़ शासन के द्वारा सरकारी भूमि पर अवैध रूप से नवम्बर 2018 से पूर्व के कब्जेधारियों का पट्टा नवीनीकरण या आबंटन का फैसला किया गया। जिस पर अब छत्तीसगढ़ स्वाभिमान मंच ने गैर छत्तीसगढ़िया को पट्टा देने या नवीनीकरण किये जाने का विरोध तेज कर दिया है। मंच ने मांग की है कि जिसके पूर्वज 1951 के पूर्व प्रदेश में बसे उन्ही को पट्टा का अधिकार दिया जाए, इसके अलावा आबंटित सभी पट्टों को निरस्त किया जाए।
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मंच के अनुसार वर्ष 1984, 1998 और वर्ष 2002 में भी पट्टा वितरण और नवनीकरण किया गया और अब भी शासन पट्टे आबंटन की योजना के तहत कार्य कर रही है उनमे से अधिकांश गैर छत्तीसगढ़ी मूल के निवासी हैं, मंच का मानना है की छत्तीसगढ़ के संसाधनों पर छत्तीसगढ़ के मूल लोगों का नैसर्गिक और वैधानिक अधिकार है, इन संसाधनों का लाभ किसी भी स्थिति में गैर छत्तीसगढ़िया को ना दिया जाए।
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मंच का मानना है की छत्तीसगढ़ के अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों को मिसल बंदोबस्त के आधार पर यह प्रमाणित करना पड़ता है कि उनके पूर्वज छत्तीसगढ़ के निवासी रहे हैं जबकि सरकारी भूमि का पट्टा और भूस्वामी हक प्रदान करने के लिए छतीसगढ़ शासन ने राज्य के निवासी होने के शर्त शामिल नहीं किया है जो प्रदेश के निवासियों के हितों के खिलाफ है, ऐसा ना होने पर उग्र आन्दोलन की चेतावनी भी प्रदेश भर में मंच ने दी है।