कृषि क्षेत्र में सौर ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिये प्रधानमंत्री कुसुम योजना का दायरा बढ़ा | Pmky 2020 Pradhan Mantri Kusum Yojana 2020 Pradhan Mantri Kusum Yojana widens to boost solar power generation in agriculture sector

कृषि क्षेत्र में सौर ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिये प्रधानमंत्री कुसुम योजना का दायरा बढ़ा

कृषि क्षेत्र में सौर ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिये प्रधानमंत्री कुसुम योजना का दायरा बढ़ा

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:50 PM IST, Published Date : November 13, 2020/1:21 pm IST

नयी दिल्ली, 13 नवंबर (भाषा) नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) ने कृषि क्षेत्र में सौर ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देने के मकसद से प्रधानमंत्री-कुसुम योजना का दायरा बढ़ा दिया है।

शुक्रवार को जारी आधिकारिक बयान के अनुसार मंत्रालय ने पहले साल के दौरान इसके क्रियान्वयन से सीख लेते हुए दिशानिर्देश में संशोधन किया है।

इसके तहत, अब बंजर, परती और कृषि भूमि के अलावा सौर बिजली संयंत्र किसानों के चारागाह और दलदली जमीन पर भी लगाये जा सकते हैं।

मंत्रालय ने बयान में कहा कि छोटे किसानों की मदद के लिये 500 किलोवाट से छोटे आकार की सौर परियोजनाओं को राज्य मंजूरी दे सकते हैं। यह मंजूरी तकनीकी-वाणिज्यिक व्यवहार्यता पर निर्भर करेगी।

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इसके अनुसार चुने गये नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादक अनुबंध आबंटन पत्र मिलने की तारीख से 12 महीने के भीतर सौर बिजली संयंत्र चालू करेंगे।

अगर सौर ऊर्जा उत्पादक का बिजली उत्पादन निर्धारित न्यूनतम क्षमता उपयोग कारक से कम होता है,उस पर कोई जुर्माना नहीं लगाया जाएगा।

संशोधन के तहत अब एमएनआरई पात्र सेवा शुल्क का 33 प्रतिशत देशव्यापी सूचना, शिक्षा और संचार (आईसी) गतिविधियों के लिये रखेगा।

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आदेश के तहत मंत्रालय पात्र सेवा शुल्क का 50 प्रतिशत अनुबंध आबंटन पत्र जारी होने के बाद मंजूर क्षमता के लिये शुरूआती कामकाज को लेकर दे सकता है।

जल उपयोगकर्ता संघों / किसान उत्पादक संगठनों / प्राथमिक कृषि साख समितियों द्वारा या संकुल आधारित सिंचाई प्रणाली के लिए सौर पंपों की स्थापना और उपयोग के लिए 7.5 एचपी ( अश्व शक्ति) से अधिक के सौर पंप की क्षमता के लिए केंद्रीय वित्तीय सहायता (सीएफए) की अनुमति दी जाएगी। इसके लिये समूह में प्रत्येक व्यक्ति के लिए 5 एचपी की क्षमता पर गौर किया जाएगा।

केंद्रीकृत निविदा में भाग लेने को लेकर पात्रता में भी संशोधन किया गया है। पिछली निविदा में गुणवत्ता और संयंत्र लगाये जाने के बाद सेवाओं पर गौर करते हुए केवल सौर पंप और सौर पैनल विनिर्माताओं को बोली में भाग लेने की अनुमति दी गयी थी।

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बयान के अनुसार योजना के क्रियान्वयन के दौरान पाया गया कि इन विनिर्माताओं के पास कार्यबल का अभाव है और वे इसके लिये स्थानीय लोगों (इंटीग्रेटर) पर निर्भर हैं। इससे सौर पंपों को लगाने में विलम्ब होता है।

इस समस्या के समाधान और गुणवत्ता तथा संयंत्र लगाये जाने के बाद उससे जुड़ी सेवाओं को लेकर अब सौर पंप/सौर पैनल/सौर पंप नियंत्रकों का ‘इंटीग्रेटरों’ के साथ संयुक्त उद्यम को अनुमति देने का फैसला किया गया है।

इसके अलावा विशिष्टताएं और परीक्षण से जुड़े दिशानिर्देशों को भी संशोधित किया गया है। इसका उद्देश्य एक ही मॉडल के बार-बार परीक्षण को रोकना और क्रियान्वयन में तेजी लाना है।

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