रायपुर। राज्य के चर्चित नान घोटाले पर पूर्व सीएम रमन सिंह ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर निशाना साधा है। उन्होंने मामले की जांच पर गठित एसआईटी के गठन पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा है कि इस मामले में एसआईटी का गठन ऐसे आदमी के कहने पर किया गया है जो खुद मुख्य आरोपी है। डॉ रमन ने ये बयान सदन जाने से पहले दिया है। रमन ने कहा कि कांग्रेस सरकार बदलापुर की राजनीति कर रही है। वहीं रमन सिंह ने केंद्र सरकार के सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने के ऐलान का स्वागत किया है।
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उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ में नागरिक आपूर्ति निगम घोटाले को लेकर बीजेपी और कांग्रेस में तकरार मचा हुआ है। छत्तीसगढ़ में विधानसभा का सत्र चल रहा है। सत्र में शामिल होने से पहले डॉ रमन सिंह ने मीडिया से बातचीत में कहा कि नान प्रकरण में जो मुख्य आरोपी है और जो फरार है। कोर्ट ने उसकी जमानत भी नामंजूर कर दी है। वह सरकार को आवेदन देता है। इस पर कैबिनेट में फैसला हो जाता है।
पूर्व सीएम ने कहा कि यह देश के इतिहास का शायद पहला ऐसा मामला है जिसमें फरार आरोपी के आवेदन पर जांच शुरु की जा रही है। उन्होंने सवाल उठाया कि आरोपी के आवदेन के आधार पर राज्य सरकार निश्चित रूप से SIT से जांच कराकर किसको बचाना चाहती है, जांच को किस दिशा में ले जाना चाहती है। यह समझ से परे हैं। उन्होंने इसे नई सरकार के वर्ककल्चर से जोड़ते हुए बदलापुर सरकार की संज्ञा दी है।
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इसके पहले एसीबी ने कोर्ट में आवेदन दिया था कि नान घोटाले की सुनवाई फिलहाल रोक दी जाए। ब्यूरो की दलील है कि इस मामले में नान घोटाले में अभी 11 बिंदुओं पर जांच अधूरी है। नान के मैनेजर शिवशंकर भट्ट से जब्त 113 पन्नों की डायरी में केवल 6 पन्नों को विवेचना में शामिल किया गया। 107 पन्नों की जांच ही नहीं की हुई। जबकि दावा किया जा रहा है कि 6 पन्नों में ही 2011 से 2013 के बीच हुए करोड़ों के लेन-देन का हिसाब है। नान के दफ्तर से जब्त कंप्यूटर से 127 पन्ने मिले थे। उसे भी जांच में शामिल नहीं किया गया है। इस तरह एसीबी ने 11 बिंदु बताकर कोर्ट से सुनवाई रोकने का आग्रह किया है। कोर्ट ने अर्जी पर सुनवाई के लिए 10 जनवरी की तारीख तय की है।