नान घोटाले में एसीबी की अदालत में सुनवाई रोकने अर्जी, कई बिन्दुओं पर जांच अधूरी होने की दलील | Anti-Corruption Bureau's initiative in the Nan Scam case

नान घोटाले में एसीबी की अदालत में सुनवाई रोकने अर्जी, कई बिन्दुओं पर जांच अधूरी होने की दलील

नान घोटाले में एसीबी की अदालत में सुनवाई रोकने अर्जी, कई बिन्दुओं पर जांच अधूरी होने की दलील

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:46 PM IST, Published Date : January 8, 2019/4:18 am IST

रायपुर। नागरिक आपूर्ति निगम (नान) घोटाले में नया मोड़ आ गया है। एंटी करप्शन ब्यूरो ने स्पेशल कोर्ट में सुनवाई रोकने का आवेदन लगाया है। आवेदन में कहा गया है कि नान घोटाले में अभी 11 बिंदुओं पर जांच अधूरी है।

उल्लेखनीय है कि नान के मैनेजर शिवशंकर भट्ट से जब्त 113 पन्नों की डायरी में केवल 6 पन्नों को विवेचना में शामिल किया गया। 107 पन्नों की जांच ही नहीं की हुई। जबकि दावा किया जा रहा है कि 6 पन्नों में ही 2011 से 2013 के बीच हुए करोड़ों के लेन-देन का हिसाब है। नान के दफ्तर से जब्त कंप्यूटर से 127 पन्ने मिले थे। उसे भी जांच में शामिल नहीं किया गया है। इस तरह एसीबी ने 11 बिंदु बताकर कोर्ट से सुनवाई रोकने का आग्रह किया है। कोर्ट ने अर्जी पर सुनवाई के लिए 10 जनवरी की तारीख तय की है।

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छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद नान घोटाले की जांच के लिए स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) का गठन किया गया।  एसआईटी ने केस की प्रारंभिक जांच के दौरान ही 11 बिंदु छांटे हैं, जिन पर जांच या नहीं की गई है या फिर अधूरी है।  

एसआईटी ने जांच के जो बिंदु तय किए हैं, उससे घोटाले की जांच करने वाली टीम के साथ-साथ नान में पूर्व में पदस्थ रहे अधिकारी भी घेरे में आ गए हैं। खासतौर पर 2010 के बाद से पूरा सिस्टम ही सवालों के घेरे में है। संकेत हैं कि अब उन सभी से पूछताछ होगी। इसमें कुछ अफसर चर्चित रहे हैं और उन्हें सत्ता के करीबी के तौर पर जाना जाता था।

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नान मामले में फंसे सामान्य प्रशासन विभाग के संयुक्त सचिव आईएएस अनिल टुटेजा ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को एक आवेदन देकर निगम की अनियमितता के संबंध में शिकायत की थी। उन्होंने बताया था 2014 के बाद की अवधि की ही जांच की गई है। इसके पूर्व की अनियमितता को शामिल नहीं किया गया है। इसी तरह उन्होंने कई बिंदु बताए थे। नान घोटाले की चार्जशीट में आईएएस डॉ आलोक शुक्ला का भी नाम हैं।

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बताया जा रहा है कि जांच जून 2014 से फरवरी 2015 के बीच सीमित है। उसके पहले की अवधि को जांच में शामिल ही नहीं किया गया। शिवशंकर भट्ट से मिली 113 पन्नों की डायरी में केवल 6 पन्नों को विवेचना में लिया। बाकी पन्ने कार्यालय में छोड़े गए। नान ऑफिस में केके बारीक के कंप्यूटर से मिले 127 पन्नों को ऑफिस में छोड़ा गया। इन्हें जांच में शामिल नहीं किया गया। इसी तरह नान के कर्मचारी गिरीश शर्मा के मकान में छापे के बाद 1.70 लाख कैश के अलावा गाड़ियां, दो मकान, शॉपिंग मॉल और प्लाट मिला। नान कर्मी त्रिनाथ रेड्डी के मकान से भी कैश, प्रापर्टी के कागज मिले। नान कर्मी केके बारीक के घर से कैश के साथ प्राॅपर्टी के दस्तावेज मिले। उसे भी विवेचना में लिया गया। नान कर्मी जीतराम यादव के घर से 36 लाख कैश मिला। जांच में प्रमाणित हुआ कि पैसे शिव शंकर भट्ट के हैं। गिरीश शर्मा, जीतराम यादव, केके बारीक, अरविंद ध्रुव, त्रिनाथ रेड्डी से बड़ी रकम जब्त कर आरोपी बनाया गया। हाईकोर्ट की रोक के कारण उनसे पूछताछ नहीं हुई। उन्हें बतौर गवाह पेश करना होगा। गिरीश शर्मा से जब्त कंप्यूटर के प्रिंट आउट के 4 पन्नों में प्रभावशाली व्यक्तियों को रिश्वत देने उल्लेख है। उनकी जांच नहीं हुई। उसकी हार्ड डिस्क भी जब्त नहीं की गई।

 

 

 
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