कल तक जवानों को देखकर भाग खड़े होते थे ग्रामीण, लेकिन आज सुरक्षाबल के कार्यक्रम में लिया बढ़ चढ़कर हिस्सा | Security Force Organised Villagers Meeting ceremony

कल तक जवानों को देखकर भाग खड़े होते थे ग्रामीण, लेकिन आज सुरक्षाबल के कार्यक्रम में लिया बढ़ चढ़कर हिस्सा

कल तक जवानों को देखकर भाग खड़े होते थे ग्रामीण, लेकिन आज सुरक्षाबल के कार्यक्रम में लिया बढ़ चढ़कर हिस्सा

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 09:00 PM IST, Published Date : August 26, 2019/5:00 pm IST

सुकमा: जिले के कई गांव ऐसे हैं जो नक्सली दहशत के साए में अपनी जिंदगी गुजार रहे हैं। इन गांवों से लोग सिर्फ इसलिए पलायन कर जाते थे क्योंकि यहां के निवासियों में सुरक्षाबलों का खौफ इतना होता था कि ग्रामीण उन्हें अपना दुश्मन समझते थे। सुरक्षा बल के जवानों को देखते ही महिलाएं अपने बच्चों को लेकर घर के अंदर घुस जाते थे। लेकिन आज हालात बदल गए हैं। ऐसा इसलिए माना जा रहा है कयोंकि जो ग्रामीण कल तक सुरक्षा बल के जवानों को देखकर भाग खड़े होते थे वो ही आज कैंप में एक बुलावे पर दौड़े चले आते हैं।

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जी हां रविवार को चिंतागुफा थाने मे कोबरा 206 बटालियन एंव सीआरपीएफ की 150वी बटालियन और जिला पुलिस बल के जवानों द्वारा कैंप मे ही ग्रामीणों से मिलन समारोह का आयोजन किया गया। इस आयोजन के लिए सुरक्षाबलों के अफसरों ने तय किया कि ऐसे इलाकों से ग्रामीणों को बुलाया जाए, जो कैम्पों मे अब तक जाना पसंद नहीं करते। हालाँकि अफसरों को बीते कुछ समय से उस इलाके मे किए गए जन सहायता कार्यक्रमों में की गई मेहनत पर भरोसा था कि ग्रामीणों से संबंध मज़बूत हुए हैं।

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इस योजना के तहत सुरक्षा बल ने अंदरूनी इलाक़ों में से एक जहां नक्सली पुलिस की तरह गश्त करते थे, उन्हीं इलाकों के ग्रामीणों को आमंत्रित किया। सुरक्षाबल के बुलावे पर आधा दर्जन गांवों के ग्रामीण समय पर कैम्प मे पहुंच गए। जहां ग्रामीणों का मेहमानों की तरह अफसरो ने स्वागत किया और सभी को बैठाकर उनका हाल जाना। इस दौरान अफसरों ने चिंतागुफा के फिल्ड हॉस्पिटल के डाक्टरों के माध्यम से बीमार लोगों का इलाज भी करवाया। कैंप में जैसे ही ग्रामीण पहुंचे, तो उनकी जांच नहीं बल्कि गले लगाकर स्वागत किया। वहीं, उसी अंदाज में ग्रामीणों को विदाई दी गई, जिस अंदाज में मेहमानों को विदाई दी जाती है।

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जन जागरूकता से बढ़ा ग्रामीणों का विश्वास
सुकमा जिले मे कोबरा, सीआरपीएफ, डीआरजी, एसटीएफ व जिला बल के जवानों द्वारा अफसरों के दिशानिर्देश पर सहायता कार्यक्रमों एंव जन जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। इन कार्यक्रमो का ही इसे नतीजा माना जा रहा है कि कल तक जो ग्रामीण जवानों को देखकर भाग जाते थे वे आज सुरक्षा बल के कार्यक्रम में शामिल हो रहे हैं। इस लिहाज से जानकारों का मानना है कि सुरक्षा बल को नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई लड़ने में फायदा होगा।

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पहली बार कैंप तक पहुंचे इस गांव के लोग
ग्रामीणों मे विश्वास बढ़ाने किए गए आयोजन में पहली बार ऐसा देखा गया कि करिगुंडम, पिड़मेल, कसलपाड़, मिनपा, दूल्लेड़, पातादुल्लेड़, रामाराम, डब्बाकोंटा, तेमेलवाड़ा, बुरकापाल, तोकनपल्ली एंव चिंतागुफा के ग्रामीण सुरक्षाबल के बुलावे पर कैंप तक पहुंचे।

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पूरा गांव हो जाता था खाली
कुछ समय पहले इस इलाके के ग्रामीणो में सुरक्षा बल के जवानों की इतनी दहशत थी कि वे जवानों को देखते ही दूर भाग खड़े होते थे। समय के साथ हालात बदलते गए और जवानों के प्रति ग्रामीणों का भी विश्वास बढ़ते गया। आज नतीजा आपके सामने है और ग्रामीण सुरक्षा बल के कार्यक्रम में शामिल हुए।

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कोबरा बटालियन के डीसी रमेश यादव ने बताया कि हमारी तैनाती ही यहां के ग्रामीणों के बेहतरी के लिए हुई है। उच्चाधिकारियों के निर्देश पर ग्रामीणों से बेहतर संबंध स्थापित करने विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन होता रहता है। हमारा लक्ष्य भी ग्रामीणों से बेहतर संबंध स्थापित कर क्षेत्र के लोगों को शांति शुकून का वातावरण दिलाना है। इसी के तहत ग्रामीणों को आमंत्रित किया गया था, जहां लोगो ने हमारे आमंत्रण को स्वीकार किया और पहली बार कैंप तक पहुंचे थे।

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