कवर्धा पहुंच सकते हैं टिड्डी दल, एमपी के वारासिवनी में हैं मौजूद, कृषि विभाग के अफसर मौके पर | Today grasshopper teams can reach Kawardha

कवर्धा पहुंच सकते हैं टिड्डी दल, एमपी के वारासिवनी में हैं मौजूद, कृषि विभाग के अफसर मौके पर

कवर्धा पहुंच सकते हैं टिड्डी दल, एमपी के वारासिवनी में हैं मौजूद, कृषि विभाग के अफसर मौके पर

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:18 PM IST, Published Date : May 29, 2020/6:29 am IST

कवर्धा। मध्यप्रदेश से होते हुए टिड्डी दल छत्तीसगढ़ सीमा के करीब पहुंच चुका है। दक्षिण पश्चिम दिशा से हवाओं के आने पर राज्य की सीमा में अभी तक ये दाखिल नहीं हो सके हैं।

पढ़ें- बड़ी लापरवाही, कोरोना से महिला की मौत के बाद बिना PPE किट पहने परिजनों ने किया अंतिम संस्कार

फिलहाल टिड्डी दल बालाघाट के वारासिवनी गांव में पहुंच चुके हैं। मौके पर कृषि विभाग के साथ आला अफसर मौजूद हैं। हवाओं का रूख बदलते ही टिड्डी दल जिले के लोहारा और कवर्धा ब्लॉक के गांव की ओर कूच कर सकते हैं। राज्य में पहले से ही टिड्डी दल को लेकर अलर्ट जारी किया जा चुका है। टिड्डियों से फसल को बचाने के उपाए के साथ इसे लेकर एडवायजरी जारी की जा चुकी है।

पढ़ें- अब रेड जोन एरिया में भी खुलेंगी शराब की दुकानें, कलेक्टर्स को आदेश …

किसानों को टिड्डी दल के बारे में जानकारी दी गई है। टिड्डी की पहचान किस तरह की जाए और इससे कैसे बचा जा सकता है इसके बारे में बताया गया है। किसानों को चेताया गया है कि टिड्डी एक बार में फसल चट कर देता हैं। इसकी पहचान है कि ये चमकीले पीले रंग और लंबे होते हैं। फसल के उपर ये चादर के जैसे दिखाई पड़ते हैं। फसलों को इनसे शोर मचा कर और फ्लेम थ्रोवर से बचाया जा सकता है।

पढ़ें- इंदौर में कोरोना के 84 नए पॉजिटिव मरीज मिले, 4 ने तोड़ा दम, जिले मे..

प्रशासन ने फसलों को इनसे बचान के लिए छिड़कने वाली दवाओं के नाम भी जारी किए हैं। टिड्डियों का जीवनकाल 40 से 85 दिन का होता है। इनके अंडों को नष्ट करने गहरी जुताई करने की सलाह दी गई है। प्रशासन ने कहा है कि टिड्डी दल की जानकारी और उपाय ही बचाव का विकल्प है।